Uttarakhand

मिलावटी चने की दाल बेचने पर दुकानदार को दो साल की सजा ,ये बेहद खतरनाक

हरिद्वार जिले के रुड़की में मिलावटी चने की दाल बेचने वाले एक दुकानदार को न्यायालय ने दो साल के कारावास की सजा सुनाई है। दुकानदार पर दस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। चने में खोसारी दाल की मिलावट की गई थी। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर खोसारी दाल इंसान के लिए कितनी खतरनाक है। 

खाद्य सुरक्षा विभाग के तत्कालीन फूड इंस्पेक्टर चरण सिंह ने 24 जुलाई 2002 को मंगलौर के मेन बाजार में कुर्बान अली की परचून की दुकान से चने की दाल का सैंपल लिया था। उस समय उसे लखनऊ की लैब में जांच के लिए भेजा गया था। जांच में चने की दाल में खेसारी दाल की मिलावट पाई गई थी। दाल में मिलावट के चलते खाद्य सुरक्षा विभाग ने दुकानदार के विरुद्ध न्यायालय में मुकदमा दायर किया था।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम रुड़की ने दुकानदार कुर्बान अली को मिलावटी दाल बेचने का दोषी पाया। वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि दुकानदार को न्यायालय ने मिलावटी चने की दाल बेचने का दोषी मानते हुए उसे दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दुकानदार पर दस हजार रुपये आर्थिक दंड भी लगाया है। उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से इस मामले में अच्छी पैरवी की गई। शासकीय अधिवक्ता ने भी प्रभावी रूप से दलीलें पेश की, जिसके चलते न्यायालय ने आरोपी दुकानदार को यह सजा सुनाई है।

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है खेसारी दाल

वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि खेसारी दाल देखने में अरहर और चने की दाल की तरह दिखती है। इसी के चलते इसकी मिलावट अक्सर इन दोनों दाल में की जाती है। खेसारी की दाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसी के चलते इस दाल पर प्रतिबंध है। इस दाल के सेवन से न्यूरोलाजिकल विकार यानी लैथरिज्म रोग होने की आशंका रहती है। इससे व्यक्ति के हाथ पांव सुन पड़ जाते हैं। इससे लकवा जैसी बीमारी होने की आशंका रहती है। इसी कारण इस दाल पर प्रतिबंध है। पशुओं तक को भी यह दाल नुकसान पहुंचाती है।

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