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बड़ीं परेशानियों से बचने के लिए जरूरी है इमरजेंसी फंड,जानिए क्या है इसके फायदे

अपने खर्चों को सही से मैनेज करने के लिए वित्तीय प्रबंधन यानी कि, फाइनेंशियल प्लानिंग करना काफी जरूरी होता है। अचानक से आने वाले खर्चों से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड हमारी सबसे ज्यादा सहायता करता है। महामारी के इस दौर ने लोगों को कई मायनों में प्रभावित किया है, खास तौर पर वित्तीय मामलों में। कोरोना के समय कई लोगों को अपनी नौकरियां भी गवांनी पड़ीं, और छोटा रोजगार कर रहे लोगों को भी आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ा था। जब कोरोना का एक नया संस्करण ओमाइक्रोन दस्तक दे चुका है, इन हालातों को देखते हुए हर किसी के लिए एक इमरजेंसी फंड बनाना और भी ज्यादा आवश्यक हो जाता है। इमरजेंसी फंड में आपको अपने मासिक खर्चों के हिसाब और अनुपात से लगभग चार से छह महीने के लिए फंड तैयार करना चाहिए। साथ ही आपको इसे किसी ऐसी जगह पर जमा कराना चाहिए जहां से आप शॉर्ट नोटिस पर बिना किसी परेशानी के इसकी निकासी कर सकें। इमरजेंसी फंड तैयार करने के लिए आप कुछ आसान से तरीकों को फॉलो कर सकते हैं।

अपने खर्चों को कम करना

ज्यादा पैसा बचाने और सही फाइनेंशियल मैनेजमेंट के लिए सबसे पहला कदम है कि, अपने गैर जरूरी खर्चों को कम किया जाय। हम रोजाना कई सारी ऐसी वस्तुएं खरीद लेते हैं, जो हमारे किसी कीम की नही होती, या फिर जिनको टाला जा सकता था। इसके अलावा हम अपनी आदतों और व्यसन पर भी काफी गैर जरूरी खर्च करते हैं। अगर हम अपने गैर जरूरी खर्चों को कम कर दें तो, बड़ी आसानी से इमरजेंसी फंड को तैयार कर सकते हैं।

आय से अधिक कमाई को जमा करना

कई बार ऐसा होता है जब हमें बोनस मिलता है, या फिर किसी और सोर्स से हमें अपनी कमाई से ज्यादा पैसा प्राप्त हो जाता है। इस प्राप्त हुए पैसे को हम फिजूल खर्ची में खर्च कर देते हैं। इसके बजाय हमें वह पैसा अपने इमरजेंसी फंड में ट्रांसफर करना चाहिए।

फंड के पैसे का सही उपयोग

हमें यह याद रखना चाहिए कि, हम जो पैसा अपने इमरजेंसी फंड में जमा कर रहे हैं, वह हमारी आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए है। जिस कारण से हमें उस पैसे का काफी सोच समझ कर उपयोग करना चाहिए।

कर्ज और इएमआइ के बोझ को कम करना

अगर आपके पास बोनस या किसी अन्य साधन से खर्च करने के लिए कुछ अतिरिक्त पैसा है, तो उस पैसे का उपयोग आप अपना कर्ज या इएमआइ चुकाने के लिए कर सकते हैं। अगर आपके पास कर्ज या इएमआइ का बोझ कम होगा, तो इमरजेंसी फंड में जमा करने के लिए पैसा भी अधिक होगा।

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