पूर्वी यूक्रेन में रहने वाले भारतीय छात्रों तक पहुंचना हुआ चुनौतीपूर्ण ,यहाँ के हालात हैं बहुत खराब
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यूक्रेन से भारतीय छात्रों को स्वदेश लाने का आपरेशन शुरू हो गया है लेकिन देश के भीतर जिस तरह से सुरक्षा के हालात गंभीर होते जा रहे हैं उसे देखते हुए अंदरूनी हिस्से में फंसे छात्रों तक पहुंच बनाने की समस्या है। पूरे यूक्रेन में तकरीबन 16 हजार भारतीय छात्रों के फंसे होने की संभावना है जिसमें से कुछ हजार छात्र ही अभी तक यूक्रेन या इसके पड़ोसी देशों के भारतीय दूतावासों से संपर्क साध चुके हैं। संचार व्यवस्था के बाधित होने से इस प्रक्रिया में समस्या आ रही है। दूतावासों में कर्मचारियों की संख्या सीमित होने की वजह से भी कुछ समस्याएं सामने आ रही है हालांकि विदेश मंत्रालय दूसरे देशों से भी राजनयिकों की तैनाती कीव दूतावास की मदद के लिए कर चुका है।
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अंदरुनी क्षेत्रों से राजधानी कीव तक पहुंचने में आ रही परेशानी
पूर्वी यूक्रेन में रहने वाले भारतीय छात्रों को सरकार ने भी कहा है कि अभी वो अपने जगह पर ही सुरक्षित रहने की कोशिश करें। यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित दो बड़े विश्विविद्यालयों में भारतीय विद्यार्थियों की स्थिति ज्यादा चिंता का कारण है। इसमें एक खारकिव नेशनल मेडिकल विश्वविद्यालय और सुमी स्टेट यूनिवर्सिटी भी है जहां के विद्यार्थियों की तरफ से लगातार आपदा संदेश सोशल मीडिया पर भेजे जा रहे हैं। चूंकि ये विश्विविद्यालय उस हिस्से में हैं जहां से रूस की सेना ने यूक्रेन पर हमला किया है इसलिए इसके आसपास के शहरों की स्थिति सबसे खराब है।
भारत सरकार ने हंगरी, पोलैंड व रोमानिया के रास्ते अपने फंसे नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन इन विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए वहां पहुंचना या आन लाइन फार्म भरना भी मुश्किल हो रहा है। उक्त तीनों देशों की सीमाएं पश्चिमी क्षेत्र से लगी हुई हैं और इन विश्वविद्यालयों के छात्र वहां राजधानी कीव हो कर ही पहुंच सकते हैं। इन शहरों से हंगरी या पोलैंड की सीमा पर पहुंचने के लिए 18-22 घंटे की सड़क यात्रा करनी होगी जो मौजूदा हालात को देखते हुए काफी खतरनाक साबित हो सकती है।
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