तनाव दूर करने के अलावा इन बीमारियों से बचाता है बालासन
आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बालासन के फायदे. बालासन के अभ्यास से घुटने में भी खिंचाव आता है और राहत मिलती है. इसके अभ्यास से पैरों की मांसपेशियों के साथ ही जोड़ भी हील होते हैं और उन्हें आराम से चलाने में मदद मिलती है. यह आसन, शरीर की खोई हुई ऊर्जा को वापस लौटाने वाला और शांति देने वाला है, जो, शरीर को आराम और ताजगी देता है.
क्या है बालासन (what is balasan)
बालासन संस्कृत का शब्द है, जहां बाल का अर्थ बच्चे हैं. इस आसन को करते समय जमीन पर लेटे बच्चे की तरह आकृति बनती है और कूल्हे जमीन से ऊपर उठे हुए एवं घुटने जमीन से चिपके होते हैं. इसलिए इस आसन को बालासन पोज कहा जाता है. बालासन का अभ्यास सही तरीके से करने से यह शरीर के कई विकारों को दूर करने में मदद करता है.
बालासन की विधि (Balasana’s method)
- बालासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं.
- अब दोनों हाथों को आगे की ओर करें और सिर को जितना हो सके नीचे की ओर झुकाएं.
- अपने हाथों को सिर से लगाते हुए आगे की ओर सीधा रखें और हथेलियां जमीन रखें.
- शुरुआत में 15 से 20 सेकेंड इस आसन का अभ्यास करें, बाद में समय बढ़ा सकते हैं.
बालासन करने के फायदे (Benefits of Balasan)
- इस आसन के अभ्यास के दौरान रीढ़ की हड्डी या स्पाइनल कॉलम में राहत मिलती है.
- बालासन शरीर में मांसपेशियों को राहत देता है और पीठ दर्द को दूर करने में मदद करता है.
- बालासन करने के शरीर के अंदरूनी अंगों में लचीलापन आता है.
- कमर दर्द, कंधे, गर्दन, पीठ तथा जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द में यह बहुत लाभकारी है.
- बालासन करने से दिमाग शांत होता है तथा गुस्सा कम होता है.
- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द खत्म होता है.
- बलासन का नियमित अभ्यास दिमाग का तनाव दूर शांति देता है.
बालासन के दौरान रखें ये सावधानियां (Keep these precautions during Balasan)
- घुटनों में किसी तरह की चोट लगी हो तो बालासन का अभ्यास न करें.
- डायरिया से पीड़ित लोगों को बालासन करने से परहेज करना चाहिए.
- प्रेगनेंट महिलाएं इस आसन का अभ्यास न करें.
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