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कुत्ते और बिल्ली से एलर्जी, तो इस तरह रखें अपना ध्यान

जानवरों को अपने परिवार का हिस्सा बनाना प्रकृति के चक्र को सलामत रखने की एक कड़ी है। हालांकि घर में किसी जानवर को रखने को लेकर लोगों के अपने अपने मत हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर लोगों को डॉग्स और कैट्स जैसे पेट्स पसन्द आते हैं। भारत में भी इनको लेकर क्रेज बढ़ा है। हालांकि ये दोनों ही पेट्स लम्बे समय से मनुष्य के आस-पास रहते हैं इसलिए इन्हें घर का हैबिटैट अडॉप्ट करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती और ये वाकई घर के सदस्य की तरह ही रहते हैं।  डॉग्स के बारे में तो कहा भी जाता है कि वह मनुष्य का वफादार साथी है।

कई ऐसी स्थितियों में जहां कोई व्यक्ति अकेला रहता है या बीमारी की हालत में है या उसे किसी प्रकार के असिस्टेंट की जरूरत है, ऐसी जगह ट्रेंड (विशेष प्रशिक्षण प्राप्त) डॉग्स को रखना बहुत लाभदायक हो सकता है। लेकिन पेट्स को रखना भी अपने आप में एक कठिन काम है। ठीक जैसे छोटे बच्चों को केयर की जरूरत होती है वैसे ही पेट्स की भी देखभाल करनी होती है। इसके अलावा कई लोगों में पेट्स की एलर्जी भी होती है, जिसपर यदि ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर भी बन सकती है। इसलिए इस एलर्जी को जानना और समझना जरूरी है।

क्या है पेट्स की एलर्जी ?

डॉग्स या कैट्स से होने वाली एलर्जी दो तरह की हो सकती है। पहली जिसमें व्यक्ति को किसी विशेष ब्रीड से एलर्जी की अधिक आशंका हो और दूसरी जिसमें किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार के पेट से एलर्जी हो सकती हो। असल में यहाँ सारा मामला आपके इम्यून सिस्टम से जुड़ा होता है। आमतौर पर हमारे इम्यून सिस्टम का काम होता है किसी भी फॉरेन बॉडी (घातक बाहरी तत्व) के शरीर तक पहुंचने के बाद उसे ढूंढकर उससे लड़ना और उसे हराना। इनमें बैक्टीरिया और वायरस जैसे घातक हमलावर शामिल हैं। जिन लोगों में पेट्स से एलर्जी होती है उनका इम्यून सिस्टम ओवर सेंसेटिव यानी अति संवेदनशील होता है। यह जानवरों के यूरीन (मूत्र), लार या स्किन की डेड सेल्स में मौजूद साधारण प्रोटीन के विरुद्ध भी प्रतिक्रिया दे सकता है और इसके लक्षण सामने आने लगते हैं।

स्थिति इसलिए भी मुश्किल हो जाती है क्योंकि एलर्जी पैदा करने वाले ये पेट एलर्जेंस घर में कई जगहों पर चिपके रह सकते हैं। जैसे फर्नीचर, पर्दे, दीवारों, फर्श, कपड़ों आदि पर लंबे समय तक चिपके रह सकते हैं और इनके सम्पर्क में आने से एलर्जी ट्रिगर हो सकती है। 

कैट और डॉग्स एलर्जेंस नाक और आंखों की मेम्ब्रेन पर आकर जम जाते हैं। इसके कारण उस मेम्ब्रेन पर सूजन और खुजली पैदा होने लगती है। इसके कारण आंखों का फूलना, लाल होना, नाक का भर जाना (स्टफी नोज़), खुजली होना, त्वचा का लाल होना आदि जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। अतिसंवेदनशील लोगों में यदि एलर्जी पैदा करने वाले तत्व लंग्स में चले जाएं तो सांस लेने में कठिनाई या खांसी हो सकती है। अस्थमा से ग्रसित लोगों में तकलीफ बहुत गम्भीर भी हो सकती है। इसके अलावा चेहरे-गर्दन आदि पर रैशेज़ भी पनप सकते हैं। 

ये उपाय अपनाएं:

-पहली सतर्कता तो यही है कि इस एलर्जी का पता चलने के बाद इसे छुपाएं नहीं, स्पष्ट बताएं। किसी के घर जाएं तो पहले से यह बात बता दें। खासकर भारत में लोग इस बात की गंभीरता को नहीं समझते लेकिन ये एनर्जी गम्भीर रूप भी ले सकती है 

-पेट्स रखने से आप बच सकते हैं लेकिन अगर परिवार में कोई पेट लाना ही हो तो बिना फर या पंखों वाले पेट का चुनाव करें। जैसे फिश। 

-अपने डॉक्टर से ऐसी दवा के बारे में पूछें जो किसी ऐसी सार्वजनिक जगह या मित्र-परिचित के घर जाने पर एलर्जी को नियंत्रण में रख सकें, जहां पेट्स हों। खासतौर पर बच्चों के लिए इस बात को ध्यान में रखें। 

-इन्हेलर या अन्य नियंत्रण करने वाले साधन अपने पास रखें। ताकि समस्या होने पर तुरन्त आप उसका उपयोग कर सकें। 

– यदि घर में किसी एक व्यक्ति को माइल्ड एलर्जी है तो कोशिश करें कि वह पेट्स के संपर्क में कम से कम आये। बेडरूम, सोफे आदि पर पेट्स को बैठने न दें। 

-एनिमल एलर्जेंस चिपचिपे हो सकते हैं। इसलिए परदों, बेडशीट्स, कुशन कवर्स, कार्पेट, दीवारों आदि को नियमित रूप से साफ करते रहें। 

-यदि दिक्कत ज्यादा हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।

-सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर का उपयोग सबसे अच्छा होता है। ये चिपके पदार्थों को भी खींचकर साफ कर देता है। 

-एयर कंडीशनर जैसे साधन कमरे में फैले एलर्जेंस को फैला सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें।

-यदि आप कहीं बाहर गए थे जहां आप एलर्जेंस के सम्पर्क में आये हैं, तो घर आते ही सबसे पहले कपड़े बदलें। 

– घर में मौजूद पेट्स को नियमित रूप से नहलाएं और साफ रखें।

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