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कंटेनर की कमी से जूझ रहे निर्यातक, ऑर्डर भरपूर होने पर भी निर्यात लक्ष्य लग रहा दूर

ऑर्डर को देखते हुए आने वाले महीनों में निर्यात में बढोतरी की पूरी उम्मीद है। लेकिन निर्यातकों का कहना है कि निर्यात के रास्ते की कुछ दिक्कतों को खत्म करने पर ही यह संभव है। निर्यातकों के सामने सबसे बड़ी परेशानी कंटेनर की कमी की है। पुराने इंसेंटिव और जीएसटी रिफंड के अटकने से उन्हें परिचालन पूंजी की भी दिक्कत हो रही है।

निर्यातकों के मुताबिक फिलहाल उन्हें सभी जगहों से अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं। पिछले दो महीनों के आंकड़े भी भारतीय निर्यात के लिए अच्छे संकेत दे रहे हैं। इस वर्ष जनवरी के दौरान वस्तुओं के निर्यात में पिछले वर्ष समान महीने के मुकाबले 6.16 फीसद की बढोतरी रही। फरवरी के प्रोविजनल आंकडों के मुताबिक निर्यात में पिछले वर्ष के उसी महीने की तुलना में 0.25 फीसद की गिरावट रही।

हालांकि, पेट्रोलियम पदार्थो व जेम्स-ज्वैलरी को निकाल दिया जाए तो अन्य वस्तुओं के निर्यात में इस वर्ष फरवरी के दौरान 5.65 फीसद की बढोतरी रही। इसका सीधा मतलब यह है कि अन्य वस्तुओं की निर्यात मांग में मजबूती का रुख है। निर्यातकों ने बताया कि 90 फीसद कंटेनर का निर्माण चीन करता है। भारत में कंटेनर का निर्माण नहीं होता है।

हालांकि, कुछ दिन पहले कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ([कॉनकोर)] ने बीएचईएल ([भेल)] और ब्रेथवेट को कंटेनर निर्माण का ऑर्डर दिया है। निर्यातकों के मुताबिक कंटेनर की किल्लत से इसकी लागत पिछले छह महीने में दोगुना हो गई है। माल ढोने वाली शिपिग कंपनियों ने भी किराया बढा दिया है। इंजीनियरिग वस्तुओं के निर्यातक एससी रल्हन के मुताबिक, ऑर्डर की कोई कमी नहीं है, सिर्फ उसे भेजने की दिक्कत आ रही हैं।’

परिचालन पूंजी की किल्लत

निर्यातकों ने बताया कि पिछले एक साल से एमईआइएस के तहत मिलने वाले इंसेंटिव का बकाया सरकार पर है। निर्यातकों की संस्था फियो के चेयरमैन शरद कुमार सराफ ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान एमईआइएस के तहत सरकार की तरफ से निर्यातकों को 65,000–70,000 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं। पिछले दो महीने से जीएसटी रिफंड भी नहीं मिला है।

इससे निर्यातकों के पास परिचालन पूंजी की किल्लत हो गई है। निर्यातकों के मुताबिक, इस वर्ष जनवरी से सरकार एमईआइएस की जगह रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टैक्स ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (रोडटेप) स्कीम लागू कर चुकी है, लेकिन अब तक इसकी दर तय नहीं हुई है। रल्हन ने कहा, ‘बकाया इंसेंटिव के नाम पर निर्यातक बैंक से कर्ज ले चुके हैं, दूसरी तरफ कच्चे माल की कीमतों में पिछले चार–पांच महीनों में 50 फीसद तक का इजाफा हो चुका है। इससे काम करने के लिए पूंजी की कमी हो रही है।’

इंडस फूड मेले से खाद्य निर्यात को प्रोत्साहन

खाद्य वस्तुओं के निर्यात प्रोत्साहन के लिए आयोजित होने वाले इंडस फूड मेले में इस वर्ष दुनिया के 52 देशों के 700 से अधिक खरीदार आ रहे हैं। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआइ) की तरफ से 20–21 मार्च को इंडस फूड मेले का आयोजन किया जा रहा है। टीपीसीआइ के चेयरमैन मोहित सिगला ने बताया कि इंडस फूड मेले में 80 करोड़ से एक अरब डॉलर तक के आर्डर भारतीय निर्यातकों को मिलने की उम्मीद है। कोरोना-काल में पिछले एक वर्ष के दौरान पहली बार विदेशी खरीदारों के लिए मेले का आयोजन किया जा रहा है।

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