एफसीआइ का अधिकारी बताकर एक धोखेबाज ने राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस नेता समेत 300 लोगों से की करोड़ों रुपये की ठगी
खुद को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) का अधिकारी बताकर एक धोखेबाज ने राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) नेता, उनके रिश्तेदारों समेत 300 लोगों से करोड़ों रुपये हड़प लिए। इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री केके तिवारी ने पिछले दिनों स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के एडीजी अमिताभ यश से मिलकर शिकायत की। जांच के बाद अब फजलगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। क्राइम ब्रांच दस्तावेजों के आधार पर आरोपित की तलाश में जुटी है।
मुकदमें के मुताबिक, अर्मापुर एस्टेट में रहने वाले राधेश्याम उपाध्याय इंटक की प्रदेश कार्यकारिणी में सदस्य हैं और फील्ड गन फैक्ट्री के रिटायर्ड कर्मचारी हैं। एफसीआइ में कार्यरत मूलरूप से सीतापुर और वर्तमान में लखनऊ के बख्शी का तालाब निवासी दुर्गाशरण मिश्रा से उनकी जान पहचान थी। आरोप है कि दुर्गाशरण ने उनको बेटे की नौकरी एफसीआइ में लगवाने का झांसा दिया और कई बार में चेक व नकद कुल 27 लाख रुपये ले लिए। उनके कई रिश्तेदारों को भी उसने ठगा। इस तरह करोड़ों रुपये हड़प लिए। भरोसा दिलाने के लिए आरोपित ने एफसीआइ के फर्जी नियुक्ति पत्र भी लाकर दिए। जब पीडि़त नौकरी के लिए पहुंचे, तब फर्जीवाड़े का पता लगा। इसके बाद राधेश्याम ने आरोपित से अपनी रकम वापस मांगी तो उसने 22 लाख रुपये के दो चेक दिए, जो बैंक में लगाने पर बाउंस हो गए। फिर उसने फोन उठाना बंद कर दिया।
वहीं, केके तिवारी ने बताया कि एडीजी ने जांच कानपुर क्राइम ब्रांच को जांच सौंपी थी। पीडि़त के बयान और दस्तावेज देखने के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। आरोपित ने करीब 300 लोगों में प्रत्येक से नौ से 27 लाख रुपये तक ठगे हैं। बताया कि मुख्यमंत्री को भी शिकायत भेजकर कहा है कि यह घटना सरकार की साफ-सुथरी छवि पर एक धब्बा है। लिहाजा, आरोपित के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर पीडि़तों की मेहनत की कमाई वापस दिलाई जाए। फजलगंज थाना प्रभारी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि क्राइम ब्रांच की मदद से आरोपित की तलाश की जा रही है।
भुखमरी की कगार पर आ गए परिवार : राधेश्याम पर दो बेटियों की शादी और एक बेरोजगार बेटे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी है। आरोपित के झांसे में आकर उन्होंने अपने फंड और ग्रेच्युटी के पैसे संग जमा पूंजी भी उसे दे दी। अब उनका परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया है। बाकी पीडि़तों का भी यही हाल है। कोई अपने बेटे तो कोई बेटी की नौकरी लगवाना चाहता था।
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