मकर संक्रांति की तारीख को लेकर अगर आप भी हैं कंप्यूज, तो यहां जानें सही ..
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सूर्य की उपासना का पर्व मकर संक्रांति की तारीख को लेकर बहुत लोग कंप्यूज हैं। दरअसल मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में जाने के कारण मनाया जाता है। जिस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में जाते हैं, तभी मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस बार सूर्य 14 जनवरी का रात को मकर राशि में जा रहे हैं। इसलिए उदया तिथि को मानने वाले 15 जनवरी के दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे। वहीं जो लोग तिथि को महत्व देते हैं, वो 14 जनवरी को मकर संक्रांति बनाएंगे। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि मे प्रवेश करने पर खरमास की भी समाप्ति हो जाती है,और सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना गया है।
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इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प व अक्षत डाल कर ह्यओम सूर्याय नम: ह्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य देव का मकर राशि मे गोचर 14 जनवरी की रात्रि 02.35 मिनट पर होगा। शास्त्र के मुताविक उदयातिथि यानी 15 जनवरी की सुबह संक्रांति मनायी जाएगी। उन्होंने बताया कि सुबह से 12 बजे दिन तक पुण्य काल रहेगा। इस अवधि में स्नान, दान व धर्म के कार्य अत्यंत शुभ माना गया है। शाम 4.38 बजे तक संक्रांति मनायी जाएगी।
पूर्वजों को याद कर पूजा-अर्चना करते हैं। तिल का विशेष महत्व होता है। तिल के पकवान के साथ-साथ दही-चूड़ा, गुड़ और तिलकुट जैसे व्यंजनों का आहार ग्रहण करते हैं। इसके साथ-साथ खिचड़ी की भी परंपरा है। स्नान-दान, उत्सव और विशेष पकवान के इस पावन पर्व को सामाजिक समरसता के साथ पांरपरिक तरीके से मनाते हैं। दक्षिण भारतीय इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं।
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