डायरिया और न्यूमोनिया के टीकाकरण में भारत ने की उल्लेखनीय प्रगति,महामारी में भी खिलखिलाता रहा बचपन
जब पूरी दुनिया पर कोरोना महामारी का घना कोहरा छाया था, तब भी भारत ने घोर आशंका और दहशत के साए से देश के भविष्य को सुरक्षित करने का भरपूर इंतजाम किया। आज संकट के काले बादल कुछ छटे हैं, उम्मीद का उजाला धीरे-धीरे फैल रहा है, तब भारत की हर ओर प्रशंसा हो रही है। हम बात कर रहे हैं कोरोना संकट के दौरान भारत में बच्चों को बचाने के लिए डायरिया और न्यूमोनिया के खिलाफ छेड़े गए टीकाकरण अभियान की।
जान हापकिंस बूलमर्ग स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के इंटरनेशनल वैक्सीन एक्सेस सेंटर (आइवीएसी) ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद भारत ने 2020 में डायरिया और न्यूमोनिया से बच्चों को सुरक्षित करने के लिए उनके टीकाकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्व न्यूमोनिया दिवस के मौके पर शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक न्यूमोनिया से बच्चों को सुरक्षित करने के लिए भारत ने छह प्रतिशत ज्यादा न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) दी हैं। 2019 में 15 प्रतिशत पीसीवी दी गई थीं जो 2020 में बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई।
पिछले महीने यानी अक्टूबर में ही मोदी सरकार ने पीसीवी का दायरा बढ़ाते हुए इसे सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया था जिससे पहली बार अब इसकी पूरे देश में उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में हर साल डायरिया और न्यूमोनिया के चलते पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत होती है। यह संख्या लगभग 2,33,240 है यानी प्रतिदिन 640 मौतें।
रिपोर्ट के मुताबिक डायरिया से बच्चों को सुरक्षित करने वाली रोटावायरस वैक्सीन का दायरा भी भारत में बढ़ा है। 2019 में रोटावायरस वैक्सीन का कवरेज 53 प्रतिशत था जो 2020 में बढ़कर 82 प्रतिशत पर पहुंच गया। भारत ने रोटोवायरस वैक्सीन लगाने के काम में तेजी लाने के लिए 2019 में ‘100 दिवसीय एजेंडा’ पूरा किया जो हर साल पैदा होने वाले 2.6 करोड़ बच्चों को डायरिया के जानलेवा मामलों से बचाने में मदद करेगा।
लक्ष्य से ज्यादा स्तनपान कराने वाले देशों में भारत भी
रिपोर्ट में शामिल 15 देशों में से भारत उन छह देशों में शामिल है, जिसने स्तनपान की दर के लक्ष्य (58 प्रतिशत) को पार किया है। स्तनपान करने वाले बच्चे न सिर्फ स्वस्थ होते हैं, बल्कि न्यूमोनिया और डायरिया जैसी बीमारियों से उन्हें खतरा भी कम हो जाता है।
रोटावायरस वैक्सीन का विस्तार बड़ी जीत
इंटरनेशनल हेल्थ विभाग में प्रोफेसर एवं आइवीएसी के कार्यकारी निदेशक विलियम मोस, एमडी, एमपीएच ने कहा, ‘हम बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कड़ी मेहनत से हासिल की गई दशकों की प्रगति को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं और भारत का न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन और रोटावायरस वैक्सीन का विस्तार बाल स्वास्थ्य में समानता के लिए एक बड़ी जीत है।’
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