जन्माष्टमी पर दर्शन करने के लिए फेमस है भगवान श्रीकृष्ण के ये 6 प्रसिद्ध मंदिर
हिंदी पंचांग के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भादों के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार यह जन्माष्टमी 30 अगस्त 2021 को यानी कल मनाई जाएगी। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी और श्रीकृष्ण जयंती जैसे कई अन्य नामों से भी मनाया जाता है। भारत में, भगवान श्रीकृष्ण के कुछ मंदिर इस अवसर पर जाने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ मंदिर सदियों पुराने हैं। श्री कृष्ण का बचपन वृंदावन में बीता था, ऐसे में जन्माष्टमी के दिन बांके बीहारी मंदिर में दर्शन करना बड़ा ही महत्तव रखता है। जन्माष्टमी के दिन यहां मंगला आरती होती है, जो साल में सिर्फ एक ही बार होती है। आज हम आपको श्रीकृष्ण के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है जहां आपको एक बार तो जरुर जाना चाहिए…
श्री कृष्ण जन्म भूमि, मथूरा :
ये मंदिर भगवान के जन्म स्थान के रूप में अपने महत्तव के कारण खूब फेमस है। मथुरा में कृष्ण जन्माथन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वह जगह है जहां भगवान श्री कृष्ण ने क्रूर राजा कंस के जेल हाउस में खुद को प्रकट किया और अपने पिता वासुदेव और उनकी मां देवकी को मुक्त कराया। गोकुलअष्टमी पर इस मंदिर में श्रद्धालूओं की भीड़ लगी रहती है।
जगन्नाथ पुरी, ओडिशा :
पुरी का श्री जगन्नाथ मन्दिर एक हिन्दू मन्दिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। रथयात्रा के बाद जन्माष्टमी पर यहां खूब रौनक होती है। यहां श्रीकृष्ण अपने भाई बहन के साथ श्याम रंग में स्थापित हैं। मंदिर का वृहत क्षेत्र 400,000 वर्ग फुट (37,000 मी) में फैला है और चहारदीवारी से घिरा है। कलिंग शैली के मंदिर स्थापत्यकला और शिल्प के आश्चर्यजनक प्रयोग से परिपूर्ण, यह मंदिर, भारत के भव्यतम स्मारक स्थलों में से एक है।
द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा :
मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर 1814 में सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था जो ग्वालियर रियासत का खजांची था। यह मंदिर विश्राम घाट के नज़दीक है जो शहर के किनारे बसा प्रमुख घाट है। भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है।
प्राचीन मंदिर होने के कारण भारती की प्राचीन वास्तुकला से प्ररित बताया जाता है। मंदिर के अन्दर सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। यह मंदिर रोज़ हज़ारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता है और त्यौहार (होली और जन्माष्टमी) के समय में यहाँ भीड़ और भी बढ़ जाती है। यह अपने झूले के त्यौहार के लिए भी मशहूर है जो हर श्रावण महीने के अंत में आयोजित होता है और इससे बरसात की शुरुआत का आगाज़ भी होता है। जन्माष्टमी के दिन सुबह से ही यहां विशेष पूजा की शुरुआत हो जाती है। फिर रात 12 बजे के बाद से ही श्रीकृष्ण का श्रृंगा और पूजन होता है।
इस्कॉन मंदिर, मथुरा :
इस्कॉन मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा शहर के वृंदावन में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को समर्पित है। यही कारण है कि इस मंदिर को कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह वृंदावन के सभी मंदिरों में सबसे भव्य है जिसकी सुंदरता देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहां आते हैं। मंदिर के अंदर की नक्काशी, पेंटिंग और चित्रकारी बहुत मनमोहक है और भगवान के जीवन का वर्णन करती है। मंदिर के अंदर लोग पूजा पाठ करने के बाद अलग तरह की शांति का अनुभव करते हैं।
प्रेम मंदिर, मथुरा :
प्रेम मंदिर भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के समीप वृंदावन में स्थित है। इसका निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के मन्दिर के रूप में करवाया गया है। कृष्ण जन्माष्टमी से पहले ही ये मंदिर रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाने लगता है। इस मंदिर पर आप तरह-तरह की झांकी देख सकते हैं, जहां भगवान कृष्ण की लीलाओं का खूबसूरती से वर्णन किया है।
इस्कॉन टेंपल, दिल्ली :
इस्कॉन मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे “हरे राम हरे कृष्ण मंदिर” के रूप में भी जाना जाता है। आपको बता दें कि इस मंदिर स्थापना वर्ष 1998 में अच्युत कनविंडे द्वारा की गई थी और यह नई दिल्ली के कैलाश क्षेत्र के पूर्व में हरे कृष्णा हिल्स में स्थित है। इस्कॉन मंदिर एक बेहद आकर्षक संरचना है जो बाहर की तरफ से उत्कृष्ट स्टोन वर्क से बना हुआ है और इसके अंदर प्राचीन कलाकृति है। दिल्ली के इस्कॉन में भी जन्माष्टमी के दौरान भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है।
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