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लाओस की गुफा में मिला 1.3 लाख वर्ष पुराना दांत ,जो किसी इंसान के ब्लैक बाक्स से कम नहीं,सुलझेगी मानव विकास की सबसे बड़ी गुत्थियां 

लाओस में एक गुफा के भीतर लगभग 1.3 लाख वर्ष पुराना दांत मिला है। पुरातत्वविदों ने जैविक विश्लेषण से पता लगाया है कि यह दांत आठ वर्ष की एक लड़की का है, जो मानव की एक विलुप्त प्रजाति होमो डेनिसोवंस से ताल्लुक रखती थी। विज्ञानियों ने उम्मीद जताई है कि इस दांत के अध्ययन से मानव विकास की सबसे बड़ी गुत्थियों में से एक डेनिसोवंस के मामले को सुलझाया जा सकेगा।

हम आधुनिक मानव यानी होमो सेपियंस पिछले दस हजार वर्षों से एकमात्र मानव प्रजाति होने के इस कदर अभ्यस्त हो चुके हैं कि किसी दूसरी मानव प्रजाति के बारे में कल्पना करना भी मुश्किल लगता है। लेकिन वास्तव में होमो सेपियंस मानव प्रजातियों की महज एक किस्म है। आज से करीब एक लाख वर्ष पहले पृथ्वी कम से कम सात मानव प्रजातियों का घर हुआ करती थी। साल 2010 में पुरातत्वविदों ने रूस से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया तक फैले मानव की एक विलुप्त प्रजाति होमो डेनिसोवंस का पता लगाया था।

डेनिसोवंस दक्षिण पूर्वी एशिया में उस समय रहे थे, जब होमो सेपियंस, होमो निएंडरथल्स, होमो लोंगी और होमो फ्लोरेसीन्सिस जैसी मानव प्रजातियां भी पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में थीं। लाओस में मिला दांत दक्षिण पूर्वी एशिया में होमो डेनिसोवंस का पहला भौतिक प्रमाण या जीवाश्म है। यह दांत कोबरा गुफा में मिला है जो लाओस की राजधानी विएंटाइन से 260 किलोमीटर दूर है। नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित संबंधित शोध पत्र के सह-लेखक क्लेमेंट जानोल्ली के मुताबिक, यह दिखाता है कि डेनिसोवंस दक्षिण एशिया में मौजूद थे और होमो सेपियंस और होमो डेनिसोवंस संभवत: दक्षिण पूर्वी एशिया में मिले थे।

विज्ञानियों ने पहली बार 2010 में रूस के साइबेरिया इलाके की अल्टाई पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में एक युवती की उंगली की हड्डी खोजी थी, जो डेनिसोवंस से संबंध रखती थी। 2019 में तिब्बती पठार पर एक जबड़े की हड्डी की खोज की, जिससे यह सिद्ध हुआ कि इन प्रजातियों का एक हिस्सा चीन में भी रहता था। लाओस में खोदाई से मिले दांत के बारे में जानोल्ली का कहना है कि यह दांत किसी इंसान के ब्लैक बाक्स की तरह है। इसके भीतर जीवन से जुड़ी कई सूचनाएं छिपी होती हैं। विज्ञानी दांत का उपयोग विभिन्न प्रजातियों में अंतर को बताने के लिए करते आए हैं।

हालिया अध्ययन में कुछ सेपियंस (आधुनिक मानवों) में भी डेनिसोवंस के डीएनए पाए गए हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इंटरब्रीडिंग (संकरण) के माध्यम से सेपियंस और डेनिसोवंस एक-दूसरे के संपर्क में आए होंगे। बहरहाल, डेनिसोवंस की तरह पता नहीं हमारे खोए हुए और कितने संबंधियों के निशान ढूंढ निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं।

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