Uttar Pradesh

यूपी में जीत के लिए AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की बिहार फॉर्मूला अपनाने की तैयारी

उत्तर प्रदेश में अगले साल यानि 2022 के फरवरी-मार्च में विधानसभा के चुनाव प्रस्तावित हैं. लेकिन उससे 7-8 महीना पहले ही यूपी में सियासी कैरम पर राजनीतिक पार्टियां अपनी गोटियां सेट करने में जुट गई हैं. गुरुवार को जब एआईएमआईएम सांसद और पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी उत्तर प्रदेश के दौरे पर पहले लखनऊ पहुंचे और फिर बहराइच में पार्टी के कार्यालय का उद्घाटन किया तो इस तपा देने वाले जुलाई के महीने में सियासी तपिश को और बढ़ा दिया.

यूपी में एआईएमआईएम का बहराइच में खुला वो पहला दफ्तर है जिसका उद्घाटन खुद ओवैसी ने किया है. बहराइच में असदुद्दीन ओवैसी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अब मुस्लिमों को ताश का जोकर नहीं बल्कि रिंग मास्टर बनने का समय आ गया है.

ओमप्रकाश राजभर से मिले ओवैसी

वहीं बहराइच जाने से पहले लखनऊ में सांसद ओवैसी ने भागीदारी संकल्प मोर्चा के संयोजक और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात की. दोनों के बीच बैठक मेरियट होटल में तकरीबन 40 मिनट तक चली और उसके बाद असदुद्दीन ओवैसी बहराइच के लिए निकल गए. बहराइच में पार्टी का दफ्तर खोलने के पीछे भी एआईएमआईएम की एक सोची समझी रणनीति है क्योंकि बहराइच और उसके आसपास का इलाका मुस्लिम बाहुल्य माना जाता है. कुछ समय पहले ओवैसी ने यह कहा था कि वह उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे.

दरअसल, यूपी में लगभग 110 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 34-38 फीसदी है, वहीं 44 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर्स 40 से 46 फ़ीसदी के आसपास हैं और 11 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 52 से लेकर 64 फीसदी तक है. जाहिर सी बात है कि ओवैसी की निगाह इसी वोट बैंक पर है.

ओवैसी की उत्तर प्रदेश में भी बिहार फॉर्मूला अपनाने की तैयारी

लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये चुनावों के बाद तय करेंगे कि यहां मुख्यमंत्री कौन बनेगा. इशारों इशारों में अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि अब यूपी में डेवलपमेंट की राजनीति चलेगी. एम वाई फैक्टर नहीं चलेगा बल्कि ए टू जेड गठबंधन चलेगा. ओवैसी की उत्तर प्रदेश में भी बिहार फॉर्मूला अपनाने की तैयारी है क्योंकि बिहार के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने 20 उम्मीदवारों को उतारा था जिनमें से 5 को जीत मिली थी. इस तरह से उनका जीत का प्रतिशत तकरीबन 25 फीसदी के आसपास था और कुछ ऐसे ही रणनीति यूपी में भी ओवैसी और उनकी पार्टी तैयार कर रही है.

वहीं ओवैसी के उत्तर प्रदेश दौरे पर सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला का साफ तौर पर कहना है कि ओवैसी के उत्तर प्रदेश आने से बीजेपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.  जो लोग ओवैसी और उनकी पार्टी को वोट देते हैं वह कभी भी बीजेपी को वोट नहीं देते हैं.

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