ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे डॉक्टरों के सामने मुश्किल, एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन से किडनी पर बुरा प्रभाव
ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार कर रहे डॉक्टरों के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। इसके उपचार के लिए इस्तेमाल में लाए जा रहे एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन मरीजों की किडनी पर बुरा असर डाल रहा है। जिन मरीजों पर इस इंजेक्शन के दुष्प्रभाव नजर आए, उन पर इसका इस्तेमाल रोकना पड़ रहा है। दून अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशयन डॉ. जैनेंद्र कुमार ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज के दौरान एम्फोटेरेसिन बी के इस्तेमाल से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। क्रिएटिनिन भी बढ़ जाता है।
ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल, अनुभव के आधार पर इसे कंट्रोल किया जा रहा है, जिसमें काफी हद तक सफलता मिली भी है। किडनी पर कम प्रभाव डालने वाला इंजेक्शन महंगा: एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन 305 रुपये का है। लाइपोजोमल एम्फोटेरेसिन बी 6890 रुपये का है। विशेषज्ञ कहते हैं कि लाइपोजोमल किडनी पर कम दुष्प्रभाव डालता है। दोनों इंजेक्शन सरकार ने अपने अधीन कर रखे हैं। निजी क्षेत्र में इंजेक्शन बिक्री नहीं हो रही है।
एम्फोटेरेसिन बी एहतियात के साथ प्रयोग की जाती है, जब अन्य एंटी फंगल काम नहीं करते तब इसे इस्तेमाल करते हैं। इसे प्रॉपर हाईड्रेशन के साथ देते हैं। एम्फोटेरेसिन बी से किडनी खराब होने का खतरा बना रहता है, क्योंकि क्रिएटिनिन बढ़ने से किडनी पर असर पड़ना शुरू हो जाता है।
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