जाने कैसे धरती पर इंसानी दखल के चलते तेजी से घट रही प्रवासी पक्षियों की आबादी…..
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World Migratory Birds Day 2022: मशहूर पक्षी वैज्ञानिक सालिम अली ने एक बार कहा था कि पक्षी विश्व के देशों की राजनीतिक सीमाओं को नहीं मानते हैं। वे अपने भोजन, बेहतर जलवायु और जीवन की खोज में बिना हिचक दूर देशों की यात्राएं करते रहते हैं, लेकिन इंसानी दखल से दुनियाभर में पक्षियों की आधी प्रजातियों पर संकट है। इसके पूर्व की कड़ी में बताया गया था कि प्रवासी पक्षियों का इंसान से क्या वास्ता है। प्रवासी पक्षी और मानव कैसे एक दूसरे के पूरक हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि धरती पर इंसान के बढ़ते दखल ने कैसे प्रवासी परिंदों के जीवन में एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। इसके चलते प्रवासी पक्षियों की आबादी तेजी से घट रही है। कुछ प्रजातियां तो संकटग्रस्त स्थिति में हैं। कुछ प्रवासी पक्षी तो विलुप्त हो चुके हैं। पर्यावरण संबंधी एक अध्ययन की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इंसानी दखल के चलते इन प्रवासी परिंदों पर संकट मंडरा रहा है। यह खतरे की घंटी है।
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1- पर्यावरण संबंधी एक अध्ययन की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि दुनियाभर में लगभग पक्षियों की 48 फीसद प्रजातियों की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल छह फीसद प्रजातियां ऐसी हैं जिनकी संख्या बढ़ रही है। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक एलेक्जेंडर लीज का कहना है हम अब पक्षियों की प्रजातियों के महाविनाश की नई लहर की शुरुआती संकेत देख रहे हैं। उन्हें पक्षियों के लिए किए जा रहे संरक्षण के प्रयास से बहुत अपेक्षाएं हैं।
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लीज ने कहा कि पक्षियों को बचाने के लिए हमें प्राकृतिक दुनिया में मानवीय दखल को कम करना होगा। वहीं अगर भारत की बात करें तो यहां पक्षियों की 80 फीसद प्रजातियों में गिरावट दर्ज की गई है। 50 फीसद प्रजातियों में भारी गिरावट आई है। 30 फीसद प्रजातियों में कम गिरावट आई है। यह प्रजातियां अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।
2- पर्यावरणविद विजयपाल बघेल का कहना है कि केवल जलवायु, मौसम और आवास की क्षति के कारण ही पक्षियों को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, बल्कि धरती पर मानवीय दखल और हस्तक्षेप के कारण उनके लिए खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा कि प्रवासी पक्षी अपनी लंबी यात्रा अक्सर रात्रि में करते हैं। उन्होंने कहा कई मंजिला इमारतें, ऊंचे-ऊंचे टावर और संचार टावरों ने उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। ऊंची संरचनाए प्रवासी पक्षियों के लिए विशेष रूप से बड़ी समस्या पैदा करती है।
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उन्होंने कहा कि इनसे निकलने वाली रोशनी इन पक्षियों के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकती है। संघीय उड्डयन प्रशासन (एफएए) को रात में रोशनी रखने के लिए ऊंची संरचनाओं की जरूरत होती है। लेकिन रात में उड़ने वाले पक्षी लगातार जलती रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं। इन पक्षियों को इस बात का एहसास नहीं होता कि कुछ उनके रास्ते को भ्रमित कर रहा है। कई पक्षी इसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं और अपनी ऊर्जा का अनावश्यक क्षय करते हैं।
3- लंबी दूरी के प्रवासी अपनी यात्रा के दौरान सितारों और चुंबकीय क्षेत्रों जैसे संकेतों का उपयोग करते हैं। तेज रोशनी उन संकेतों को बाधित करती है। इससे पक्षी भ्रमति होते हैं। इसके अतिरिक्त फसलों में कीटनाशक के अधिक प्रयोग से पक्षियों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि इन कीटनाशक के सेवन से पक्षी मर सकते हैं। इसके अतिरिक्त घास के मैदानी इलाके तेजी से घट रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि लोग चूहों को मारने के लिए भांति-भांति के जहर का प्रयोग कर रहे हैं, कई पक्षियों का आहार ये चूहे होते हैं। ऐसे में जहरयुक्त चूहों के सेवन करने से चील, बाज, उल्लू जैसे रैप्टर को दूषित शिकार खाने का खतरा होता है। उन्होंने कहा कि पक्षी हमें चह संकेत दे रहे हैं कि वातावरण में क्या हो रहा है।
1- दुनियाभर में 11,000 पक्षी प्रजातियों का अध्ययन
48% : प्रजातियों की जनसंख्या में गिरावट
39 % : प्रजातियों की संख्या स्थाई
06% : प्रजातियों की संख्या बढ़ी
07% : प्रजातियों की स्थिति की जानकारी नहीं
2- भारत की स्थिति
80% : भारत में पक्षियों की प्रजातियां घटी
50% : प्रजातियों पर संकट
50% : प्रजातियों की संख्या में भारी गिरावट
30% : प्रजातियों की संख्या में कम गिरावट हुई
06% : प्रजातियों की संख्या स्थिर
14% : पक्षियों की प्रजातियों में वृद्धि
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