गो आधारित प्राकृतिक कृषि एवं पंचगव्य के उत्पादों को जनमानस तक व्यापक प्रचार-प्रसार
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उ०प्र० गोसेवा आयोग के सभागार में आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त जी की अध्यक्षता में गो आधारित प्राकृतिक कृषि एवं पंचगव्य उत्पादों के सामाजिक महत्व को जनमानस तक व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु विस्तृत चर्चा की गयी। बैठक में मा० सदस्यों श्री राजेश सिंह सेंगर, दीपक गोयल, रमाकान्त उपाध्याय जी भी उपस्थित रहे। समारोह के मुख्य अतिथि मा० डा० सुनील मानसिंहका, कुलपति, गो-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापार, नागपुर द्वारा दूध, घी, दही, गोबर एवं गोमुत्र आधारित पंचगव्य उत्पादों व पेटोंट गोमुत्र अर्क ’गो कृपा अमृतम’ से होने वाले लाभों पर विस्तार से बताया गया।
प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये प्राकृतिक कृषि आधारित सफल कृषकों के भी अनुभवों को भी सुना गया, मा० अध्यक्ष जी ने कहा कि गो आधारित कृषि की व्यवस्था पूरे प्रदेश में स्थापित करनी है एवं परिवारों की थाली मे प्राकृतिक खेती द्वारा जहर मुक्त भोजन हर घर तक पंहुचाना है। मा० सुनील मानसिंहका द्वारा कहा गया कि उ०प्र० में पायी जाने वाली स्वदेशी गोवंश प्रजातियां जैसे गंगातीरी, खैरीगढ़, खीरी एवं पंवार का संरक्षण व संवर्धन करना बहुत आवश्यक हो गया है। पंचगव्य उत्पादों के सक्रिय मार्केटिंग रणनीति बनाने पर भी चर्चा हुई। श्री राधे श्याम जी, वरिष्ठ पत्रकार द्वारा निराश्रित गोवंशों के समाधान हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये, जिसमें मुख्यतः गोकुल मॉडल, ग्राम उत्सव, मुख्यमंत्री सहभागिता योजना एवं गोवर्धन योजना चर्चा के मुख्य बिन्दु रहे।
श्री गिरजा शंकर मौर्या, प्राकृतिक कृषि कृषक द्वारा अपने खेतों में बहु-स्तरीय कृषि द्वारा हो रहें लाभों के बारे में बताया गया एवं गो सेवा आयोग द्वारा कृषि,पर्यटन एवं फैमिली फार्मिंग को बढावा देने का सुझाव दिया गया। मा० सदस्य श्री राजेश सिंह सेंगर द्वारा बुन्देलखण्ड प्रक्षेत्र में वृहद स्तर पर गोशालाओं का औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें उन्होने छोटे एवं बडे गोवंशों को एक साथ न रखकर अलग-अलग शेडो में रखने पर जोर दिया व वृहद गो आश्रय स्थलों के इन्फ्फास्ट्रक्चर सम्बन्धित मानकों की पुनः समीक्षा करना आवश्यक बताया। मा० अध्यक्ष जी द्वारा बताया गया की जल्द ही मंडल स्तरीय गो संरक्षण व संवर्धन समिति द्वारा समीक्षा करवायी जायेगी एवं जल्द ही भविष्य हेतु कार्य योजना तैयार की जायेगी।
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