कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को लेकर पूरी दुनिया में दहशत,वैक्सीन के प्रभाव को भी खत्म कर रहा ‘ओमीक्रान स्ट्रेन’
कोरोना वायरस के नए खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक आपात बैठक इस वैरिएंट को लेकर विशेषज्ञों से चर्चा की है। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैरिएंट आफ कंसर्न की सूची में शामिल किया है। इसका अर्थ है कि इससे वैसा ही खतरा है जैसा डेल्टा वैरिएंट से था। डब्ल्यूएचओ ने इस नए स्ट्रेन B.1.1.529 को ओमीक्रॉन नाम दिया है।
गौरतलब है कि वैरिएंट आफ कंसर्न में उसी स्ट्रेन को रखा जाता है जिसका खतरा अधिक होता है। अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक ओमीक्रान स्ट्रेन का संक्रमण अधिक तेजी से फैलता है। इसके अलावा ये वैक्सीन के असर को भी कम या खत्म कर सकता है। यहां पर ये भी बता दें कि विश्व के कुछ देशों में कोरोना संक्रमण के मामलों में बीते कुछ माह में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। यूरोप समेत रूस और चीन में भी मामलों में बढ़ोतरी हुई है। बढ़ते मामलों को देखते हुए चीन ने अपने कुछ प्रांतीय शहरों में लाकडाउन तक लगाया है। रूस की बात करें तो वहां पर इस महामारी से रिकार्ड संख्या में मौतें हो रही थीं। इस नए वैरिएंट की दहशत दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी महसूस की जा रही है। सभी देश इसको लेकर बेहद चौकन्ना हैं।
आस्ट्रेलिया, इजरायल और ब्रिटेन ने तो अफ्रीकी देशों से आने और जाने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन तीनों ने केवल वहां से अपने नागरिकों के वापस आने को ही छूट दी है। वो भी सीधे नहीं आ सकेंगे, क्योंकि इन देशों ने विमान सेवा को यहां के लिए फिलहाल बंद किया हुआ है। इजरायल में इससे एक ऐसा व्यक्ति संक्रमित पाया गया है जिसको वैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी थीं। अफ्रीकी देश दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, बोत्सवाना, जिम्बावबे, लेसिथो और एस्वेतिनी में इसके मामले सामने आ चुके हैं। बोत्सवाना में तो इसके अब तक 32 म्यूटेशन सामने आ चुके हैं।
बता दें कि 24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रान वैरिएंट पहला मामला सामने आया। हालांकि इससे विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधनम घेब्रेसस ने बताया है कि इस वैरिएंट के बड़ी संख्या में म्यूटेशन सामने आए हैं, जो बेहद चिंता की बात है। उन्होंने विश्व को आगाह किया है कि हमें इसके प्रति सजग रहने की जरूरत है। ब्रिटेन का कहना है कि इस वैरिएंट में स्पाइक प्रोटीन है जो कोरोना वायरस के मूल स्वरूप से अलग है। ब्रिटेन ने इसको लेकर काफी पहले ही संदेह जता दिया था।
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