अस्थमा के मरीजों को बदलते मौसम में विशेष सावधान रहने की जरूरत, ऐसे रखें ध्यान ..
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बीते दस दिनों से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। पारा तीन डिग्री तक पहुंच गया है। ऐसे में हरकोई परेशान हो रहा है। लेकिन सांस के रोगियों के लिए ऐसी ठंड और ज्यादा मुश्किल भरी हो सकती है अगर उन्होंने अपना सही से ख्याल न रखा तो। कड़ाके की ठंड में अस्थमा अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। तो आइए जानते हैं सर्दियों में क्यों ऐसा होता है और किस तरह के एतिहात इस मौसम में बरतने जरूरी हैं।
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ठंड में इस वजह से बढ़ जाता है अस्थमा अटैक का खतरा
दरअसल ठंड से श्वास नलिकाओं सिकुड़ जाती हैं। कई बार इन नलिकाओं में इतना ज्यादा संकुचन हो जाता है कि नली एकदम पतली या कहें कि ब्लॉक ही हो जाती है। जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होती है और इस वजह से अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अस्थमा के मरीज सर्दियों में इन बातों का रखें ध्यान
1. लगातार गिरते तापमान के साथ ही अगर ठंडी हवाएं भी चल रही हो, तो बाहर टहलने या व्यायाम करने की जगह घर में हल्की-फुल्की जरूरी एक्सरसाइजेस कर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि बाहर का मौसम या फिर जिम में होने वाली नमी आपके लिए दिक्कत पैदा कर सकती है। मौसम में गर्माहट होने पर ही बाहर निकलें।
2. सर्दी से बचने के लिए आग वाली जगह बैठना भी अवॉयड करें क्योंकि इससे निकलने वाला धुंआ फेफड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है। खासतौर से अगर आप अस्थमा के मरीज हों।
3. प्राणायाम करना अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है, इसके नियमित अभ्यास से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। यह डायाफ्रामिक और पेट की मांसपेशियों को एक्टिव करता है, जिससे सांस लेने की परेशानी दूर होती है। कपालभाति, नाड़ीशोधन, भ्रामरी, भस्त्रिका जैसे प्राणायाम लाभकारी होते हैं।
4. चाय, कॉफी, सूप और दूसरे तरह के गर्म लिक्विड ड्रिंक्स पीने से न सिर्फ बॉडी गर्म रहता है, बल्कि इससे बलगम की परेशानी भी दूर होती है। सांस लेना आरामदायक हो जाता है।
5. नियमित रूप से घर की भी साफ-सफाई करते रहें। वैक्यूम क्लीनर से सफाई करने से सभी धूलकण खत्म हो जाते हैं। हवा में मौजूद धुंआ, धूल यहां तक कि रूसी भी अस्थमा के मरीजों के लिए ट्रिगर का काम करते हैं। इसलिए एयर फिल्टर और एयर प्यूरीफायर का जरूर इस्तेमाल करें।
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