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व्यास तहखाना में जारी रहेगा पूजा-पाठ, मुस्लिम पक्ष को मिला बड़ा झटका

ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई पूरी होते ही मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय से मस्जिद कमेटी को कोई राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने महाधिवक्ता को निर्देश दिया है कि जिलाधिकारी वाराणसी व्यास तहखाने की सुरक्षा पुक्खता करें, कोई चूक न हो। इस मामले की अगली सुनवाई अब छह फरवरी को होगी।

बता दें कि वाराणसी जिला जज के तरफ से जारी आदेश के खिलाफ अंजुमने इंतजामियां कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में मुस्लिम पक्ष ने जिला कोर्ट के 31 जनवरी के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। अंजुमने इंतजामियां के तरफ से दायर की गई इसी याचिका पर आज यानी 2 फरवरी को जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। जहाँ दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की थी ।

सूत्रों के अनुसार सबसे पहले मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के वकील फरमान नकवी के दलीलें पेश करने के बाद हिंदू पक्ष को अपनी दलीलें पेश करने का मौका मिला। मुस्लिम पक्ष की तरफ से अपनी दलील में कहा गया कि, “पूजा की इजाजत की मांग को लेकर एडिशनल रिलीफ मांगी गई मगर कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की आपत्ति को नजर अंदाज कर इजाजत दे दी। इसके बाद हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने उनका विरोध किया।

न्यायधीश का सवाल मुस्लिम पक्ष से

सुनवाई कर रहे जज अग्रवाल ने मस्जिद कमेटी के वकील से पूछा कि, “आपने सीधे 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ याचिका क्यों दाखिल किया है। ऐसे में आपकी अर्जी की पोषणीयता क्या है? क्या उस पर सुनवाई की जा सकती है? 31 जनवरी का आदेश 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर नियुक्त किए जाने के आगे की कड़ी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से पूछा कि 4 तहखाने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में है, लेकिन इस बात का कोई दावा नहीं है कि हिंदू पक्ष किस तहखाने में प्रार्थना करना चाहता हैं। इस पर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट को बताया कि हिंदू पक्ष चार तहखानों में से एक व्यास तहखाने को मांग रहा है। अपने इस कथन के बाद न्यायधीश ने मुस्लिम पक्ष के तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया।

मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट से जारी आदेश के अनुसार वाराणसी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। ज्ञानवापी में नमाजियों की भारी भीड़ को 300 मीटर पहले ही बैरीकेडिंग लगा कर अंदर जाने से रोक दिया गया है। लोगों को वापस उनके घर भेजा जा रहा है।

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