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नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच हिंसा, सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाया

काठमांडू, 9 सितंबर।
नेपाल में पिछले कुछ दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। आंदोलन के दौरान हुई झड़पों और गोलीबारी में अब तक लगभग 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं। राजधानी काठमांडू और कई अन्य हिस्सों में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है।

सूत्रों के अनुसार, यह प्रदर्शन युवाओं और छात्र संगठनों के नेतृत्व में हो रहे हैं, जो सरकार की नीतियों और बेरोज़गारी की समस्या को लेकर लंबे समय से नाराज़गी जता रहे थे। आंदोलन की आग धीरे-धीरे नेपाल के विभिन्न प्रांतों तक फैल चुकी है।

स्थिति को काबू में करने के लिए सरकार ने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि अफवाहों और गलत सूचनाओं पर रोक लगाई जा सके। हालांकि, इस कदम की कड़ी आलोचना हुई और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया गया। बढ़ते दबाव और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया के बाद सोमवार देर रात सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने की घोषणा कर दी।

इस बीच, हाल के दिनों में सरकार के भीतर भी असंतोष बढ़ा है। कुछ वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के इस्तीफे ने राजनीतिक संकट को और गहरा कर दिया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं और विपक्ष ने संसद में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

हिंसा और तनाव को देखते हुए नेपाल-भारत सीमा समेत कई संवेदनशील इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। सुरक्षा बलों को उच्च अलर्ट पर रखा गया है और सीमावर्ती जिलों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी, तो नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और गहरा सकती है, जिसका असर न केवल देश के भीतर बल्कि पड़ोसी देशों पर भी पड़ सकता है।

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