नवरात्रि का तीसरा दिन: सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा की होती है पूजा

लखनऊ। नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है। देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान होने के कारण इन्हें यह नाम प्राप्त हुआ है। माता का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है।
मां चंद्रघंटा सिंह पर सवार होती हैं और उनके दस हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र सुशोभित रहते हैं। यह रूप दुष्टों और राक्षसों का संहार करने वाला है। भक्तों का मानना है कि मां की पूजा से साधकों को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं और उनके सभी संकट दूर हो जाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के इस दिन भक्तजन मां चंद्रघंटा की विशेष रूप से पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है और चारों ओर मां के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। श्रद्धालु उपवास रखकर विधिवत रूप से मां का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
मां चंद्रघंटा की उपासना से व्यक्ति के भीतर साहस और निर्भयता का संचार होता है। साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। भक्तों का विश्वास है कि देवी की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
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