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13 अप्रैल को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जायेंगा, जानिए पूजा की विधि

गुड़ी पड़वा मनाने की विधि 1. प्रातःकाल स्नान आदि के बाद गुड़ी को सजाया जाता है।

 – लोग घरों की सफ़ाई करते हैं। गाँवों में गोबर से घरों को लीपा जाता है। 

– शास्त्रों के अनुसार इस दिन अरुणोदय काल के समय अभ्यंग स्नान अवश्य करना चाहिए।

 – सूर्योदय के तुरन्त बाद गुड़ी की पूजा का विधान है। इसमें अधिक देरी नहीं करनी चाहिए।

 प्रातः व्रत संकल्प ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजः श्रीब्रह्मणः प्रसादाय व्रतं करिष्ये।

षोडषोपचार पूजा संकल्प

ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्रह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे अमुकनामसंवत्सरे चैत्रशुक्ल प्रतिपदि अमुकवासरे अमुकगोत्रः अमुकनामाऽहं प्रारभमाणस्य नववर्षस्यास्य प्रथमदिवसे विश्वसृजो भगवतः श्रीब्रह्मणः षोडशोपचारैः पूजनं करिष्ये।

पूजा के बाद व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस मंत्र का जाप करना चाहिए–

ॐ चतुर्भिर्वदनैः वेदान् चतुरो भावयन् शुभान्।

ब्रह्मा मे जगतां स्रष्टा हृदये शाश्वतं वसेत्।।

1. चटख रंगों से सुन्दर रंगोली बनाई जाती है और ताज़े फूलों से घर को सजाते हैं। 

2. नए व सुन्दर कपड़े पहनकर लोग तैयार हो जाते हैं। आम तौर पर मराठी महिलाएँ इस दिन नौवारी (9 गज लंबी साड़ी) पहनती हैं और पुरुष केसरिया या लाल पगड़ी के साथ कुर्ता-पजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं।

 3. परिजन इस पर्व को इकट्ठे होकर मनाते हैं व एक-दूसरे को नव संवत्सर की बधाई देते हैं। 

4. इस दिन नए वर्ष का भविष्यफल सुनने-सुनाने की भी परम्परा है।

 5. पारम्परिक तौर पर मीठे नीम की पत्तियाँ प्रसाद के तौर पर खाकर इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत की जाती है। आम तौर पर इस दिन मीठे नीम की पत्तियों, गुड़ और इमली की चटनी बनायी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे रक्त साफ़ होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका स्वाद यह भी दिखाता है कि चटनी की ही तरह जीवन भी खट्टा-मीठा होता है।

 6. गुड़ी पड़वा पर श्रीखण्ड, पूरन पोळी, खीर आदि पकवान बनाए जाते हैं।

 7. शाम के समय लोग लेज़िम नामक पारम्परिक नृत्य भी करते हैं।

गुड़ी कैसे लगाएँ1. जिस स्थान पर गुड़ी लगानी हो, उसे भली-भांति साफ़ कर लेना चाहिए।

2. उस जगह को पवित्र करने के लिए पहले स्वस्तिक चिह्न बनाएँ।

3. स्वस्तिक के केन्द्र में हल्दी और कुमकुम अर्पण करें।

विभिन्न स्थलों में गुड़ी पड़वा आयोजनदेश में अलग-अलग जगहों पर इस पर्व को भिन्न-भिन्न नामों से मनाया जाता है।

1. गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है।

2. कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है।

3. आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी/उगादी नाम से मनाते हैं।

4. कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं।

5. मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है। 

6. इस दिन चैत्र नवरात्रि भी आरम्भ होती है।

इस दिन महाराष्ट्र में लोग गुड़ी लगाते हैं, इसीलिए यह पर्व गुडी पडवा कहलाता है। एक बाँस लेकर उसके ऊपर चांदी, तांबे या पीतल का उलटा कलश रखा जाता है और सुन्दर कपड़े से इसे सजाया जाता है। आम तौर पर यह कपड़ा केसरिया रंग का और रेशम का होता है। फिर गुड़ी को गाठी, नीम की पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजाया जाता है। गुड़ी को किसी ऊँचे स्थान जैसे कि घर की छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके। कई लोग इसे घर के मुख्य दरवाज़े या खिड़कियों पर भी लगाते हैं।

2021 में गुड़ी पड़वा कब है?

गुडी पडवा 2021 मुहूर्त

मंगलवार, 13 अप्रैल, 2021

विक्रम संवत 2078 शुरू

अप्रैल 12, 2021 को 08:02:25 से प्रतिपदा आरम्भ

अप्रैल 13, 2021 को 10:18:32 पर प्रतिपदा समाप्त

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