Uttar Pradesh

 दुनिया को अलविदा कह गए नवाब मीर जाफर अब्दुल्लाह

नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह मंगलवार शाम दुनिया को अलविदा कह गए। 72 बरस के जाफर मीर किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने विवेकानन्द पॉलिक्लीनिक में अंतिम सांस ली। अस्पताल से उनका जनाजा हुसैनाबाद के शीश महल स्थित घर पर ले जाया गया।

 लखनऊ: अदब की विरासत के नुमाइंदे नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह मंगलवार शाम दुनिया को अलविदा कह गए। 72 बरस के जाफर मीर किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने विवेकानन्द पॉलिक्लीनिक में अंतिम सांस ली। अस्पताल से उनका जनाजा हुसैनाबाद के शीश महल स्थित घर पर ले जाया गया। यहां देर रात तक उनके चाहने वालों का जमावड़ा लगा रहा। बुधवार दोपहर कर्बला, तालकटोरा में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।

उमराव जान को पर्दे पर उतारने की तैयारी चल रही थी। मुजफ्फर अली इस फिल्म के किरदारों में लखनऊ उकेरना चाहते थे। सुभाषिनी अली ने किरदारों, खासकर फारूख शेख और रेखा के कॉस्ट्यूम डिजाइन किए, लेकिन मुजफ्फर अली को अब भी कुछ ‘कमी’ महसूस हो रही थी। उन्हें बार-बार लग रहा था कि फारूख के क्लोजअप में अब भी नवाब वाली बात नहीं आ रही। आखिरकार उनकी तलाश खत्म हुई शीशमहल के नवाब, जाफर मीर अब्दुल्ला की अंगूठी पर। उनकी अंगूठी फारुख को पहनाई गई, तब जाकर मुजफ्फर को इत्मिनान आया कि अब सब सही है।

नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह इसका जिक्र अकसर करते थे। एक बार उन्होंने उमराव जान फिल्म के बनने के मसले पर तफ्सील से बात की और कहा, मुजफ्फर के पिता और मेरे पिता में दोस्ताना संबंध थे। मुजफ्फर की बड़ी ख्वाहिश थी कि मिर्जा हादी रुसवा के उपन्यास उमराव जान को रुपहले पर्दे पर उतारा जाए। तब भले बजट की तंगी थी, लेकिन मुजफ्फर इसमें कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। उन्होंने इतिहासविद् योगेश प्रवीन और नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला की मदद ली। इसी फिल्म में नवाब सुल्तान के किरदार में फारुख शेख का गेटअप तैयार किया जा रहा था तो उन्हें नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह की अंगूठियां पहनाई गई थीं।

दुर्लभ सामान सहेजने के शौकीन थे
नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह दुर्लभ सामान सहेजने के शौकीन थे। देश-विदेश के लोग उन्हें देखने आया करते थे और नवाब बेहद चाव से उन्हें अपने सामान दिखाते और उनके बारे में रोचक जानकारियां देते। वह कई बार बताते थे कि बेशकीमती और ऐतिहासिक सामान एकत्रित करने और उनके व्यापार का शौक उन्हें मां से विरासत में मिला था। एंटीक सामानों का यह खजाना अक्सर बॉलिवुड को भी खूब लुभाता था। कई फिल्मों में इनका इस्तेमाल भी हुआ। इनके कलेक्शन पर डॉक्युमेंट्री भी बनी।

गदर, स्युटेबल बॉय और इशकजादे जैसी फिल्मों में उनके बेशकीमती सामान, घर के बाहर खड़ी कार और दूसरी दुर्लभ चीजों को फिल्माया गया। नवाबों के समय के बेशकीमती सामानों में उनके लिए तैयार विशेष हुक्का, पानदान के अलावा विदेशों से लाए गए झूमर, झालर जैसी चीजें का बड़ा कलेक्शन भी उनके पास रहा।

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