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लखनऊ: 26 पूर्व छात्र मेंटर्स को शिक्षक सहयोग हेतु सम्मानित किया गया

लखनऊ, अगस्त 2025: राजधानी लखनऊ में एससीईआरटी, उत्तर प्रदेश के मार्गदर्शन में लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन (एल एल एफ़) और टाटा ट्रस्ट्स की साझेदारी में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें ‘एलुमनी मेंटर मॉडल’ की प्रेरणादायक और सफल यात्रा का उत्सव मनाया गया । यह कार्यक्रम न केवल शिक्षक नेतृत्व और स्वैच्छिक सहभागिता का प्रतीक बना, बल्कि उत्तर प्रदेश में सहयोगात्मक शिक्षकीय मॉडल के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी सिद्ध हुआ।

इस अवसर पर एससीईआरटी, उत्तर प्रदेश के निदेशक श्री गणेश कुमार, संयुक्त निदेशक डॉ. पवन सचान, उप निदेशक (शिक्षा विभाग) श्रीमती दीपा तिवारी, तथा एलएलएफ के संस्थापक व कार्यकारी निदेशक श्री धीर झिंगरन ने विशेष रूप से सहभागिता की ।

इस मॉडल के तहत उत्तर प्रदेश के 8 जिलों से 26 समर्पित शिक्षकों ने एल एल एफ़ के एक वर्षीय प्रारंभिक भाषा शिक्षण कोर्स (जो टाटा ट्रस्ट्स के सहयोग से विकसित और टीआईएसएस- सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन टीचर एजुकेशन मुंबई , से मान्यता प्राप्त है) को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद स्वयं मेंटर के रूप में कार्य करने की स्वैच्छिक जिम्मेदारी ली। ये मेंटर्स बेसिक शिक्षा विभाग में विभिन्न शैक्षणिक पदों जैसे एस.आर.जी., ए.आर.पी., प्रधानाध्यापक, संकुल शिक्षक एवं शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

इन मेंटर्स ने 300 से अधिक शिक्षकों को न केवल इस एक वर्षीय कोर्स से जुड़ने के लिए प्रेरित किया, बल्कि पूरे वर्ष भर लगातार उनका मार्गदर्शन और सहयोग भी किया। मेंटर्स ने ऑनलाइन व प्रत्यक्ष सत्रों, और निरंतर संवाद के माध्यम से शिक्षकों को बुनियादी साक्षरता और भाषा शिक्षण की प्रभावी पद्धतियों की समझ विकसित करने में मदद की। यह संपूर्ण प्रक्रिया, बिना किसी दबाव या अतिरिक्त आर्थिक प्रोत्साहन के पूरी तरह से शिक्षकों की आत्म-प्रेरणा, प्रतिबद्धता और सहयोग की भावना पर आधारित थी।

मुख्य अतिथि श्री गणेश कुमार ने सभी मेंटर्स को बधाई देते हुए अपने संबोधन में कहा,
“हमारे पास आने वाले बच्चों में अपार संभावनाएँ हैं, कमी सिर्फ अवसर की है। जब उन्हें सही अवसर मिलता है, तो वे हर चीज़ सीखने में सक्षम होते हैं। हमें कक्षा में हर बच्चे को ऐसा अवसर देना है जिसमें वह खुलकर सीख सके। आपने इस कोर्स के माध्यम से जो ज्ञान और समझ अर्जित की है, वह केवल आपके तक सीमित न रहे। जब यह समझ आपके और आपके द्वारा प्रशिक्षित शिक्षकों के कक्षा-शिक्षण में दिखाई देगी, और उसका असर बच्चों के अधिगम में झलकेगा—तभी इस कार्यक्रम की वास्तविक सार्थकता साबित होगी।”

डॉ. पवन सचान जी ने इस मॉडल को शिक्षक-नेतृत्व की एक प्रभावशाली मिसाल बताते हुए इसे राज्य स्तर पर विस्तार देने की इच्छा जताई, ताकि उत्तर प्रदेश में भाषा शिक्षण को और अधिक प्रभावी, व्यावहारिक और रुचिकर बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “अभी हमारे पास 26 मेंटर्स हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि यह संख्या 26 से बढ़कर 2600 और फिर 26,000 हो—जो और भी शिक्षकों को सशक्त बनाएँ, ताकि इस कार्यक्रम का लाभ अधिक से अधिक शिक्षकों तक पहुँच सके। बहुत कम लोगों में यह सामर्थ्य होता है कि वे अपनी सीखने की ज़िम्मेदारी खुद उठाएँ। आप सबने यह कर दिखाया है।”

श्रीमती दीपा तिवारी ने भी इस पहल की सराहना करते हुए मेंटर्स को सुझाव दिया कि वे कोर्स में सीखी गई शिक्षण पद्धतियों को अपनी कक्षाओं में अधिक से अधिक लागू करें, ताकि बच्चों के अधिगम परिणामों में स्पष्ट और ठोस सुधार देखा जा सके।

एल एल एफ़ के संस्थापक श्री धीर झिंगरन ने एससीईआरटी उत्तर प्रदेश के निरंतर सहयोग के लिए आभार प्रकट किया और इस मॉडल को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने वाले सभी मेंटर्स को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा, “शिक्षा क्षेत्र में अपने 35 वर्षों के अनुभव में मैंने ऐसा प्रेरणादायक प्रयास पहले कभी नहीं देखा। यह पूरे देश में अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है—जहाँ इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों ने पूर्ण आत्म-प्रेरणा और प्रतिबद्धता के साथ अपने साथी शिक्षकों के साथ एक वर्षीय कोर्स न केवल किया, बल्कि सीखने-सिखाने की इस यात्रा को सार्थक रूप से निभाया। यह सहयोगात्मक व्यावसायिक विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।”

कार्यक्रम के अंत में सभी 26 मेंटर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एल एल एफ़ टीम की ओर से श्वेता लाल, स्वाति गांधी, श्रीमोई भट्टाचार्य सहित राज्य और जिला स्तर की टीमें भी उपस्थित रहीं।

यह आयोजन शिक्षक सशक्तिकरण, नेतृत्व और स्वैच्छिक सहभागिता की दिशा में एक अनुकरणीय उदाहरण बनकर उभरा है, जो आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणा स्रोत सिद्ध हो सकता है।

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