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लॉकडाउन ने ताजा कर दी पुरानी यादें, कड़ाई से पेश आ रही है पुलिस

यमुनापार में लगे छह दिन के लाकडाउन ने कोरोना के शुरुआती दिनों में लगे लाकडाउन की यादों को ताजा कर दिया। लॉकडाउन के पहले दिन मंगलवार को मार्केट बंद, माॅल सुनसान, पार्क खाली सड़कों पर जगह-जगह बैरिकेड्स लगाकर पुलिसकर्मी मुंह पर फेस शिल्ड, मास्क और दस्तानाें के साथ सैनिटाइजर लिए हुए नजर आए। सड़कों पर एक अजीब सी खामोशी थी, वो खामोशी इस बात का इशारा कर रही थी सबकुछ ठीक नहीं है।

दवाई, किराना, दूध व सब्जी की दुकानें ही खुली रहीं, सड़कों पर फल और सब्जी की रेहड़ियां आम दिनों की तरह लगीं। लोगों ने पाबंदी का ध्यान रखते हुए खरीदारी की। सुबह और शाम के वक्त पुलिस ने रिहायशी इलाकों में नर्मी दिखाई, जबकि मुख्य मार्गों व मार्केट में पुलिस अपने तेवर में नजर आई। नंद नगरी बस डिपों के पास लाइन लगाकर खड़े आटाे चालकों से पुलिसकर्मियों ने अपने डंडे से ही बात कीं, डंडे चलते ही वहां हड़कंप मच गया। चंद मिनटों में सड़क खाली हो गई।

वजीराबाद रोड, शाहदरा जीटी रोड, भजनपुरा, हर्ष विहार, गाजीपुर, मयूर विहार में पुलिस ने बैरिकेड लगाकर आने जाने वाले लोगों से पूछताछ की और ई-पास देखने के बाद ही उन्हें जाने दिया। कुछ लोग पुलिस से बहाने बनाते हुए भी नजर आए तो कुछ शराब ढूंढने के लिए घरों से निकले। नियमों का उल्लंघन करने वालों के पुलिस और सिविल डिफेंस वालंटियर ने चालान भी किए।

बिना वजह सड़कों पर घूम रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया

सप्ताहांत कर्फ्यू के मुकाबले लॉकडाउन के पहले दिन पुलिस सख्त दिखी। पुलिस को जहां भी बिना वजह के लोग सड़कों पर घूमते हुए मिले, पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसमें महिलाएं भी शामिल रहीं। दुर्गापुरी चौक और गाजीपुर पर पुलिस की टीमें बैरिकेड्स लगाकर वाहनों की जांच कर रही थी, कोई पैदल या वाहन चालक बिना किसी जरूरी काम के बाहर घूमते हुए पाया गया, पूछताछ कर उसे हिरासत में लेकर पास में खड़ी डीटीसी की बसों में बैठा दिया गया। नाम पता लिखने के बाद उन्हें वहां से दूर ले जाकर छोड़ दिया गया।

खाने के लिए भटके लोग, फल खाकर चलाया काम

यमुनापार में बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं, जो दूसरे राज्यों से आकर यहां किराये पर रह रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्रों, रिहायशी इलाकों में बने घरेलू उद्योगों व मार्केट में मजदूरी करते हैं। खाना ढाबों पर खाते हैं, लाकडाउन के कारण अधिकतर ढाबे और छोटे होटल बंद हैं। सिर्फ वही होटल और रेस्त्रा खुलें है जिनके यहां पर होम डिलीवरी की सुविधा है। गांधी नगर, कांति नगर, सीलमपुर, कोंडाली में ढाबे बंद होने से मजदूर खाने के लिए भटके, भूख पिटाने के लिए उन्होंने फलों का सहारा लिया।

गांधी नगर मार्केट के दिहाड़ी मजदूर राम प्रसाद ने बताया कि वह अपने पांच साथियों के साथ गीता कालानी में किराये पर कमरा लेकर रहते हैं, गांधी नगर पुश्ता रोड पर एक ढाबे पर खाना खाते थे। एक सप्ताह में उसका हिसाब करते थे। लेकिन ढ़ाबा बंद हो गया, खाना लेने के लिए कहीं जा रहे हैं तो पुलिसकर्मी पकड़ कर पीटने की कोशिश करने लगते हैं।

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