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मान कैबिनेट का जीवनरक्षक फैसला: अब युद्ध और आतंक प्रभावितों को भी मिलेगा ‘फरिश्ते’ योजना का लाभ

चंडीगढ़, 9 मई
पंजाब सरकार ने एक ऐतिहासिक और मानवीय संवेदनाओं से भरा फैसला लेते हुए ‘फरिश्ते’ योजना का दायरा बढ़ा दिया है। अब इस योजना के तहत केवल सड़क दुर्घटना पीड़ित ही नहीं, बल्कि युद्ध और आतंकवादी घटनाओं में घायल नागरिक भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट बैठक में इस महत्वपूर्ण निर्णय को मंजूरी दी गई।

मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि यह पहल राज्य में पहली बार की गई है, जिसमें युद्ध और आतंकी हमलों के पीड़ितों को तत्काल और मुफ्त इलाज, कानूनी संरक्षण और मददगारों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है।

योजना के प्रमुख बिंदु:

1. युद्ध व आतंक पीड़ितों को मुफ्त इलाज:
अब युद्ध या आतंकी घटनाओं में घायल होने वाले नागरिकों को भी राज्य के सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में बिना किसी खर्च के इलाज की सुविधा मिलेगी।

2. मददगारों को मिलेगा ‘फरिश्ता’ का दर्जा:
जो भी व्यक्ति किसी घायल को अस्पताल पहुंचाएगा, उसे ‘फरिश्ता’ घोषित किया जाएगा। ऐसे मददगारों को नकद इनाम, सरकारी प्रशंसा पत्र और कानूनी सुरक्षा दी जाएगी।

3. कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित:
घायल को अस्पताल ले जाने वाले व्यक्ति को पुलिस पूछताछ, एफआईआर या किसी भी कानूनी जटिलता से पूर्ण रूप से छूट दी जाएगी। इससे आम लोगों में मदद के लिए आगे आने का विश्वास बढ़ेगा।

4. मृत्यु दर में कमी का प्रयास:
सरकार का मानना है कि इस फैसले से युद्ध और आतंकी घटनाओं के बाद समय पर इलाज मिलने से मृत्यु दर और गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं में उल्लेखनीय कमी आएगी।

5. जनकल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता:
यह निर्णय राज्य सरकार की उस संवेदनशील और जन-हितैषी सोच को दर्शाता है, जिसमें हर नागरिक की जिंदगी को सर्वोपरि माना गया है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “हम एक ऐसी सरकार हैं जो जीवन को सर्वोपरि मानती है। युद्ध और आतंक के पीड़ित भी हमारे अपने हैं, और उनकी जान बचाना हमारी जिम्मेदारी है। ‘फरिश्ते’ योजना के विस्तार से अब कोई भी पीड़ित इलाज से वंचित नहीं रहेगा।”

यह कदम न केवल पंजाब में मानवीयता की नई मिसाल कायम करता है, बल्कि देश भर में अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से न केवल पीड़ितों की जान बचाई जा सकेगी, बल्कि समाज में सहानुभूति और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा।

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