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कृष्ण…नाट्य प्रस्तुति एवं प्रो. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ के साथ संवाद का किया गया भव्य आयोजन

कृष्ण…नाट्य प्रस्तुति एवं प्रो. पवन सिन्हा 'गुरुजी' के साथ संवाद का किया गया भव्य आयोजन

पावन चिंतन धारा आश्रम के सांस्कृतिक प्रकल्प ‘परिवर्तन’ द्वारा संगीत नाटक अकादमी में एक नाट्य प्रस्तुति “कृष्ण” का मंचन तथा राष्ट्रवादी विचारक प्रो. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र को आज के परिपेक्ष में जोड़कर युवाओं और शहरवासियों को गहरा संदेश दिया। कार्यक्रम का आयोजन शहर के समस्त पत्रकार साथियों द्वारा किया गया। नाट्य प्रस्तुति में भगवान श्री कृष्ण के न केवल बाल्यकाल को दर्शाया बल्कि 11 वर्ष के बाद उनकी शिक्षा-दीक्षा, प्रशिक्षण तथा संपूर्ण 125 वर्ष के जीवन को प्रदर्शित किया गया जिसमें वह पराक्रमी योद्धा के रूप में कैसे युवाओं की प्रेरणा बन सकते हैं यह भी बताया गया और उनके व्यक्तित्व से हम लोग क्या-क्या बातें सीख सकते हैं, कैसे प्रेरणा लेकर अपने चरित्र को सुदृढ बना सकते हैं, यह सब दर्शाया गया।


गौरतलब है पावन चिंतन धारा आश्रम वर्ष 2010 से सनातन धर्म के वैज्ञानिक स्वरूप को आधार बना भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए कार्य कर रहा है जिससे युवाओं में देशभक्ति व सनातन धर्म के लिये सम्मान उत्पन्न हो। आश्रम के संस्थापक परमपूज्य प्रो. पवन सिन्हा ‘गुरूजी’ हैं और जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तथा विश्व विख्यात संत भी हैं।
नाट्य प्रस्तुति के उपरांत संवाद कार्यक्रम में श्री नवल कांत सिन्हा जी ने कार्यक्रम को गति प्रदान करते हुए प्रो. पवन सिन्हा जी से प्रश्न पूछे जिनके उत्तर में आध्यात्मिक गुरु प्रोफेसर पवन सिंह ने कहा कि श्री कृष्ण का जीवन एक अनोखा दर्शन युक्त तथा राष्ट्र व समाज का हित करने वाला जीवन रहा|
वह बचपन से अपने अंत समय तक धर्म की स्थापना और समाज के सुधार के लिए कार्य करते रहे।
उनका जीवन त्याग की प्रतिमूर्ति था। वह एक योग्य विद्यार्थी, कुशल शासक तथा अपने परिवार के योग्य पुरुष थे।
श्रीगुरुजी ने कहा कि सोशल मीडिया पर श्री कृष्ण के बारे में आधे-अधूरे ज्ञान को देखकर बहुत दुख होता है| श्री कृष्ण के बारे में यह कहना कि वह 16108 स्त्रियों के पति थे, तथ्य रहित बात है। श्री कृष्ण के नाम पर बहुत सारी ऐसी कथाएं चल रही हैं जिसमें उनको केवल प्रेमिका के प्रेमी के रूप में ही दिखाया जाता है, यह तथ्यहीन है।
इस प्रकार की कहानी किसी के जीवन का कल्याण नहीं कर सकती अतः यह आवश्यक है कि श्री कृष्ण के जीवन के तथ्य और सत्य समाज में, विशेषकर युवाओं के लिए आवश्यक है तथा उन्हें शुद्ध रूप में ही लोगों तक पहुंचना चाहिए।कार्यक्रम में पावन चिंतन धारा आश्रम की सचिव पूज्य गुरुमां डॉ. कविता अस्थाना, प्रशासनिक अधिकारी, मौजूद रहे। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी जुड़े।

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