‘कॉमन कैरियर’ प्रस्ताव पर इंडियन ऑयल यूनियनों का विरोध

पेट्रोलियम वर्कर्स यूनियन, इंडियन ऑयल यूनिट के अध्यक्ष श्री विदुर भार्गव ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) द्वारा इंडियनऑयल की प्रमुख पाइपलाइनों को कॉमन कैरियर या कॉन्ट्रैक्ट कैरियर घोषित करने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। मार्केटिंग डिविजीन के सभी मयता प्राप्त यूनियनों ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री को संयुक्त ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यह कदम कंपनी की संचालन क्षमता, वित्तीय स्थिरता और राष्ट्रहित के लिए हानिकारक हो सकता है।
यूनियनों का कहना है कि इंडियनऑयल एक महारत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जिसने हमेशा “नेशन फर्स्ट” की भावना से काम किया है। युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं और कोविड-19 महामारी जैसे कठिन समय में भी कंपनी ने देश के दूरस्थ क्षेत्रों तक निर्बाध ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित की है। हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भी कंपनी ने अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता सिद्ध की। यूनियनों ने जोर दिया कि कंपनी के लिए व्यावसायिक लाभ से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्रहित रहा है, जबकि निजी कंपनियां लाभ पर ही केंद्रित रहती हैं।
ज्ञापन में कहा गया कि इन पाइपलाइनों के कॉमन या कॉन्ट्रैक्ट कैरियर घोषित होने से गैर-लाभकारी क्षेत्रों की आपूर्ति बाधित हो सकती है, संचालन में जटिलताएं बढ़ सकती हैं और वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे न केवल कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रभावित होगी, बल्कि हजारों कर्मचारियों की आजीविका पर भी संकट आ सकता है।
यूनियनों ने उल्लेख किया कि पीएनजीआरबी अधिनियम 2006 की धारा 20 का उद्देश्य पेट्रोलियम उत्पादों की समान और पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है, जिसे इंडियनऑयल पहले से ही अपने विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि इंडियनऑयल की रणनीतिक परिसंपत्तियों को कमजोर करने के बजाय उन्हें मजबूत किया जाए।
ज्ञापन पर इंडियनऑयल मार्केटिंग डिवीजन की सभी मान्यता प्राप्त यूनियनों के महासचिवों ने हस्ताक्षर किए, जिनमें सभी मान्यता प्राप्त यूनियनों के प्रमुख प्रतिनिधि शामिल थे।
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