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विदेशी कोविड वैक्सीन के लिए भारत ने बदले नियम, बदलाव से किस वैक्सीन को होगा अधिक फायदा

कोरोना वैक्सीन की किल्लत की शिकायतों के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए सभी विदेशी वैक्सीन के लिए देश के दरवाजे खोल दिए। इससे जहां देश में कोरोना की कई वैक्सीन उपलब्ध हो सकेंगी, वहीं सभी वयस्कों के टीकाकरण के लक्ष्य को भी जल्द हासिल करने में मदद मिलेगी। आइए, जानते हैं कि नियमों में बदलाव का किन विदेशी वैक्सीन को ज्यादा लाभ मिलेगा, उनकी कीमत कितनी होगी, सुरक्षा मानकों का किस प्रकार खयाल रखा जाएगा और क्या बाजार में भी वैक्सीन उपलब्ध हो सकेंगी..

क्या हैं नियम

न्यू ड्रग एंड क्लीनिकल ट्रायल रूल्स-2019 के अनुसार, जब भी विदेशी निर्माता भारत में वैक्सीन के आपातकालीन उत्पादन के लिए आवेदन करेगा, उसे स्थानीय क्लीनिकल ट्रायल संबंधी रिपोर्ट जमा करनी होगी। इसे ब्रिज ट्रायल कहा जाता है। इसमें निर्माता दूसरे व तीसरे चरण के सुरक्षा व प्रतिरक्षा संबंधी आंकड़े जुटाते हैं। चूंकि वैक्सीन का विदेश में ट्रायल हो चुका होता है, इसलिए स्थानीय ट्रायल में प्रतिभागियों की संख्या सीमित होती है। इसी आधार पर सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड व डॉ. रेड्डी ने स्पुतनिक-वी का ब्रिज ट्रायल करवाया था। यह भी प्रविधान है कि राष्ट्रीय प्राधिकार चाहे तो विदेशी कंपनियों को नियमों में छूट दे सकता है। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब वैक्सीन के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव सामने न आए हों। हालांकि, दूसरे व तीसरे चरण के स्थानीय ट्रायल के प्रविधान को अब खत्म कर दिया गया है।

बदलाव का मतलब क्या हुआ

विदेश का कोई भी निर्माता जिसकी वैक्सीन को अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन व जापान के स्वास्थ्य प्राधिकार से सीमित उपयोग की अनुमति मिल चुकी हो वे भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपातकालीन इस्तेमाल की सूची में दर्ज कंपनियां भी सीधे आवेदन कर सकती हैं। उनके आवेदन पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा का कैसे होगा निर्धारण

विदेशी कंपनियों को देशभर में टीकाकरण शुरू करने से पहले 100 लोगों पर परीक्षण करना होगा और सात दिनों तक उन पर नजर रखनी होगी। रिपोर्ट संतोषजनक रहने पर देशभर में टीकाकरण की इजाजत दी जा सकती है, लेकिन समानांतर रूप से ब्रिज ट्रायल चलते रहेगा और उसकी रिपोर्ट प्राधिकार को सौंपनी होगी।

किस कंपनी को होगा फायदा

अमेरिकी की जॉनसन एंड जॉनसन ही फिलहाल ऐसी कंपनी है जिसने कहा है कि वह जल्द ही भारत में क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने जा रही है। इसे 12 मार्च को डब्ल्यूएचओ से भी हरी झंडी मिल चुकी है। इसके अलावा फाइजर व मॉडर्ना भी अपनी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकती हैं। नोववैक्स द्वारा विकसित सीरम की कोवोवैक्स भी कतार में है।

कितनी होगी कीमत

कोविशील्ड व कोवैक्सीन निजी अस्पतालों में फिलहाल 250 रुपये में लगाई जा रही है। जानकारों के अनुसार, फाइजर की वैक्सीन की एक खुराक करीब 1,400, मॉडर्ना की 2,800, चीनी वैक्सीन सिनोफार्म व सिनोवैक की क्रमश: 5,500 व 1,000 तथा स्पुतनिक-वी की 750 रुपये में उपलब्ध होगी। हालांकि, ये वैक्सीन अभी बाजार में उपलब्ध नहीं होंगी। इस संबंध में अभी सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है।

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