IIT की स्टार्टअप लिखोट्रानिक्स कपंनी ने बनाई सीखो सर्किट किट, बच्चे खेल-खेल में सीख रहे इलेक्ट्रानिक्स की बारीकियां
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) की ओर से विकसित की गई विशेष स्याही के पेन का इस्तेमाल करके पूर्व छात्र डा. के. सुधींद्र राव ने एक ऐसी किट विकसित की है, जिसकी मदद से स्कूली बच्चे खेल-खेल में इलेक्ट्रानिक्स की बारीकियां सीख सकते हैं।
पूर्व छात्र ने स्टार्टअप कंपनी बनाकर इसका बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू किया है। वर्तमान में सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल में इस किट की मदद से छात्रों को भौतिक विज्ञान में इलेक्ट्रानिक सर्किट (परिपथ) की तकनीक सीख रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के हिंदूपुर निवासी डा. के. सुधींद्र राव ने वर्ष 2004 में आइआइटी से भौतिक विज्ञान में एमएससी और 2013 में पीएचडी की थी। तब उन्होंने शिक्षकों व साथियों के साथ मिलकर सिल्वर व कार्बन आधारित उच्च गुणवत्ता की इलेक्ट्रानिक इंक (स्याही) विकसित करने पर काम शुरू किया।
पिछले वर्ष उन्होंने सीखो सर्किट नामक किट विकसित की, जिससे स्कूल में बच्चों को इलेक्ट्रानिक्स की बारीकियां सिखाने में मदद कर सकती है। पिछले वर्ष सितंबर में उन्होंने लिखोट्रानिक्स टेक नाम से कंपनी बनाई और इस किट की मदद से स्कूल कालेजों में प्रयोग दिखाने शुरू किए।
पिछले वर्ष आइआइटी आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी 2200 रुपये की इस किट की तारीफ की थी। डा. सुधींद्र ने बताया कि बेंगलुरु, आंध्र प्रदेश और यूपी के कई स्कूलों में किट की मदद से प्रयोग हो रहे हैं। पेन की इंक खत्म होने पर कुछ पैसे में दोबारा स्याही भरते हैं। उन्होंने बताया कि सर्किट में इलेक्ट्रानिक इंक संवाहक का काम करती है और कार्बन इंक प्रतिरोधक का।
किट में यह वस्तुएं मौजूद
- एक इलेक्ट्रानिक इंक पेन और दूसरा कार्बन इंक पेन
- कागज में उपकरणों को स्थायी रखने के लिए चुंबकीय सीट
- विभिन्न सर्किट को बनाने के लिए प्रयोगों की बुकलेट
- सिरीज रजिस्टेंट, पैरलल रसिस्टेंट धारा को रोकने के लिए
- साधारण एलईडी लाइटें, द्वि पथ स्विच, कैपेसिटर (संधारित्र)
- ब्रिज रेक्टिफायर। इलेक्ट्रिसिटी के कांसेप्ट इन्हीं सर्किट से होता है। बेसिक सर्किट होते हैं।
- तीन यूनिवर्सल कनेक्टर, जो विभिन्न डायोड व मल्टीमीटर के लिए प्रयोग होते हैं।
- नौ वोल्ट की बैटरी और बैटरी कनेक्टर धारा प्रवाह के लिए
यह है सीखो सर्किट की खासियत
सीखो सर्किट किट में माध्यमिक स्कूलों में सिखाए जाने वाले विभिन्न सर्किट को समझाने के लिए एक किताब दी गई है। उसे देखकर विद्यार्थी कागज पर इलेक्ट्रानिक इंक वाले पेन व कार्बन इंक वाले पेन की मदद से हूबहू सर्किट का चित्र बनाते हैं।
इसके बाद किट में मौजूद कंडक्टर (सुचालक), रजिस्टर (प्रतिरोधक), बैटरी, कैपेसिटर (संधारित्र), एलईडी बल्ब आदि को सर्किट में विभिन्न स्थानों पर लगाते हैं। जैसे ही बैटरी से धारा प्रवाहित की जाती है तो सर्किट में लगे एलईडी बल्ब जलने लगते हैं। साथ ही प्रतिरोधक का इस्तेमाल करने पर धारा का प्रवाह रुक जाता है।
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