JyotishSocial

इस मुल्क में पुलिस और अपराधी कैसे समलैंगिकों को बना रहे हैं निशाना

मिस्र में समलैंगिकता बड़ा सामाजिक कलंक माना जाता है. लंबे समय से यहां ये आरोप लगाए जा रहे हैं पुलिस इंटरनेट पर एलजीबीटी समुदाय से जुड़े लोगों को निशाना बना रही है.

बीबीसी न्यूज़ ने ऐसे सबूत देखे हैं कि कैसे अधिकारी इस समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए डेटिंग और सोशल ऐप का सहारा ले रहे हैं.

मिस्र में पले-बढ़े होने की वजह से मुझे ये बात मालूम है कि यहां समाज के हर हिस्से में होमोफ़ोबिया किस क़दर गहराई तक समाया हुआ है.

लेकिन हमारे दोस्त बताते हैं कि हाल के दिनों में माहौल ज़्यादा नृशंस हुआ है. साथ ही एलजीबीटी समुदाय के लोगों का पता करने के ज़्यादा शातिर तरीक़े अपनाए जा रहे हैं.

मिस्र में समलैंगिकता के ख़िलाफ़ कोई स्पष्ट क़ानून नहीं है, लेकिन हमने अपनी पड़ताल में पाया कि एलजीबीटी समुदाय को अपराधी बनाने के लिए यौन गतिविधियों से जुड़े एक क़ानून का इस्तेमाल किया जा रहा है.

इस संबंध में पुलिस ने जो गिरफ़्तारियां की हैं उनकी रिपोर्ट की ट्रांसक्रिप्ट्स से पता चलता है कि कैसे पुलिस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में घुस कर ऑनलाइन डेट की तलाश में आए एलजीबीटी समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ सबूत जुटा रही है.

कुछ मामलों वो इन सबूतों को गढ़ भी रही है. ये दस्तावेज़ बताते हैं कि कैसे पुलिस अपने शिकार के साथ टेक्स्ट मैसेज के ज़रिये संवाद कायम करती है और फिर उनके ख़िलाफ़ सबूत जुटाए जाते हैं.

मिस्र मध्य पूर्व में पश्चिमी देशों का अहम रणनीतिक साझीदार है. उसे अमेरिका और यूरोपियन यूनियन से हर साल अरबों डॉलर की मदद मिलती है. हर साल लगभग पांच लाख ब्रिटिश नागरिक मिस्र की यात्रा करते हैं. इसके अलावा ब्रिटेन यूएन के ज़रिये मिस्र के पुलिस बल को ट्रेनिंग भी देता है.

समलैंगिकों को कैसे फंसाती है पुलिस?

पुलिस कैसे अपना एक शिकार फांसती है उसका एक नमूना देखिये.

यह एक अंडरकवर पुलिस अफ़सर और सोशल नेटवर्किंग और डेटिंग ऐप हूज़हियर करने वाले के बीच बातचीत का अंश है.

अफ़सर इस शख्स से आमने-सामने मिलने के लिए दबाव डालता है और फिर जब वो मिलने आता है तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाता है.

पुलिस : क्या इससे पहले तुमने मर्दों के साथ संबंध बनाए हैं?

ऐप यूज़र : हां

पुलिस : हम कैसे मिलेंगे.

ऐप यूज़र : लेकिन मैं तो अपने मां-बाप के साथ रहता हूं.

पुलिस : छोड़ो यार, शर्माओ नहीं. हम किसी पब्लिक प्लेस में मिलते हैं और फिर अपने फ़्लैट पर चलते हैं.

ऐसी बातचीत के कई उदाहरण हैं, लेकिन ये इतने अश्लील हैं कि यहां इन्हें छापा नहीं जा सकता.

एलजीबीटी समुदाय के लोगों की मुश्किलें

छोड़कर पॉडकास्ट आगे बढ़ें

पॉडकास्ट

दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर (Dinbhar)

देश और दुनिया की बड़ी ख़बरें और उनका विश्लेषण करता समसामयिक विषयों का कार्यक्रम.

दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर

समाप्त

मिस्र में एलबीजीटी समुदाय के लोगों के लिए किसी पब्लिक प्लेस पर डेट के लिए मिलना बेहद मुश्किल है. इसलिए वे डेटिंग ऐप का सहारा लेते हैं.

लेकिन किसी की सेक्सुअलिटी चाहे कुछ भी क्यों न हो उसे व्यभिचार को बढ़ावा देने के आरोप या पब्लिक मोरैलिटी से जुड़े क़ानूनों के तहत गिरफ़्तार किया जा सकता है.

इस तरह के मामलों में सिर्फ़ मिस्र को लोगों को ही निशाना नहीं बनाया जा रहा है. एक ट्रांसक्रिप्ट में पुलिस ने एक विदेशी को पहचानने का ब्योरा दिया है. यहां हम उसका काल्पनिक नाम मैट रख रहे हैं.

पुलिस का आदमी उससे पॉपुलर गे डेटिंग ऐप ग्रिंडर पर मिलता है. पुलिस का ये मुखबिर इस ऐप पर उससे बात करता है.

पुलिस की ट्रांसक्रिप्ट में कहा गया है, ” मैट अपनी यौन विकृति को स्वीकार करते हुए मुफ़्त में यौन क्रिया के लिए तैयार हो जाता है. वह अपनी बॉडी की तस्वीरें भी भेजता है. ”

मैट ने बीबीसी को बताया कि बाद में उसे पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. उस पर व्यभिचार का आरोप लगाया गया और देश से बाहर भेज दिया गया.

कुछ ट्रांसक्रिप्ट्स में पुलिस उन लोगों पर दबाव डालती लग रही है जो सिर्फ़ डेट करना चाह रहे हैं या फिर पैसे के लिए सेक्स करने के मक़सद से नई दोस्ती बनाने के लिए तैयार हैं.

मिस्र में क़ानूनी मामलों के जानकार हमें बताते हैं कि पुलिस अगर ये साबित कर देती है कि यौन गतिविधियों के लिए पैसे का लेन-देन हुआ या फिर पैसे का ऑफ़र दिया गया है तो अधिकारियों को ऐसे लोगों को कोर्ट में घसीटने का हथियार मिल जाता है.

ट्रांसक्रिप्ट्स को देखने के दौरान हमें एक समलैंगिंक पुरुष लैथ ( काल्पनिक नाम) का मामला मिला. अप्रैल 2018 में इस कंटेम्पररी डांसर को एक दोस्त के फ़ोन नंबर से कॉन्टैक्ट किया गया

मैसेज में लिखा था, हैलो हाउ आर यू?

”दोस्त” ने उन्हें एक ड्रिंक पर मिलने को कहा था.

जब लैथ ‘दोस्त’ से मिलने पहुंचे तो वहां कोई नहीं था. वहां पुलिस मौजूद थी जिसने लैथ को गिरफ़्तार कर लिया और उसे नशेड़ियों की एक सेल में डाल दिया.

लैथ ने अपनी एक बांह पर दाग़ दिखाते हुए बताया कि एक पुलिस वाले ने इस पर अपनी सिगरेट रगड़ दी थी.

लैथ बताते हैं,” जीवन में पहली बार मैंने ख़ुदकुशी करने की कोशिश की.”

पुलिस ने समलैंगिकता के आरोप में कई लोगों को जेल में डाल रखा है

ऐप और फ़ेक प्रोफ़ाइल

उन्होंने बताया कि पुलिस ने हूज़हियर पर उनका एक फ़ेक प्रोफ़ाइल बनाया और उनकी तस्वीर को डिजिटल टूल से अश्लील बना दिया. इसके बाद पुलिस वालों ने ऐप पर एक मॉक बातचीत तैयार की जिससे ऐसा लगता था कि लैथ सेक्स ऑफ़र कर रहे हैं.

लैथ कहते हैं कि ये तस्वीरें इस बात का सबूत हैं कि उन्हें फंसाया गया क्योंकि तस्वीर में दिखाए गए पैर उनके पैर से मेल नहीं खाते थे. क्योंकि उनका एक पैर दूसरे से बड़ा है.

चूंकि बीबीसी के पास पुलिस केस की जो फ़ोटोकॉपी फ़ाइल है, वो साफ़ नहीं दिख रही है. इसलिए वो इसकी पुष्टि नहीं कर सका है.

तीन अन्य लोगों ने कहा कि पुलिस ने उनसे जुड़े मामलों में जंबर्दस्ती कुछ बातें कबूलवाईं.

लैथ को ‘आदतन व्यभिचार’ के आरोप में तीन महीने जेल की सज़ा सुनाई गई. अपील के बाद यह अवधि घटा कर एक महीने कर दी गई.

लैथ कहते हैं कि पुलिस ने उन्हें दूसरे समलैंगिक पुरुषों के बारे में जानकारी देने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की.

पुलिसकर्मी ने कहा, ”अगर तुम मुझे और लोगों के नाम नहीं दोगे तो मैं तुम्हारे बारे में एक पूरी कहानी गढ़ दूंगा.”

मिस्र सरकार ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्होंने ‘होमोसेक्सुअल गैदरिंग” पर शिकंजा कसने के लिए ऑनलाइन निगरानी का इस्तेमाल किया.

2020 में गृह मंत्री (इंटरनेट क्राइम्स एंड ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग) के पूर्व सहायक अहमद ताहिर ने अल मश्र अख़बार से कहा था,” हमने वर्चुअल वर्ल्ड में लोगों की नियुक्त की ताकि ग्रुप सेक्स पार्टी और होमोसेक्सुल गैदरिंग में जुटने वालों का पता लगाया जा सके.”

ब्रिटेन की चेतावनी

ब्रिटेन के फ़ॉरेन कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफ़िस ने बीबीसी को बताया कि मिस्र की पुलिस को इस तरह की जांच की ट्रेनिंग के लिए कोई फ़ंड नहीं दिया गया है.

फ़ॉरेन अफ़ेयर्स कमेटी की अध्यक्ष ब्रिटिश सांसद एलिसिया कर्न्स ने बीबीसी से कहा कि मिस्र जाने वाले एलजीबीटी समुदाय के यात्रियों को ऐसे ख़तरों से चेताने के लिए और भी क़दम उठाए जाने चाहिए.

उन्हें ऐसे देशों की यात्रा के जोख़िमों के बारे में बताने के लिए और क़दम उठाए जाने चाहिए, जहां ”उनकी यौन अभिरुचियों को उनके ख़िलाफ़ हथियार बनाए जाने का ख़तरा है.”

उन्होंने कहा,”मैं मिस्र सरकार से यौन अभिरुचियों के आधार पर किसी व्यक्ति को निशाना बनाए जाने से जुड़ी गतिविधियों को तुरंत रोकने का आग्रह करूंगी.”

इस मामले पर बीबीसी की ओर से प्रतिक्रिया मांगने के बावजूद मिस्र सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया.

बीबीसी को जो भी ट्रांसक्रिप्टस मिले हैं उनमें से लगभग हरेक में हूज़हियर ऐप की चर्चा है.

साइबर प्राइवेसी एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा लगता है कि हूज़हियर ऐप में कुछ ख़ास कमज़ोरियां हैं. इससे हैकर को इसके यूज़र्स की जानकारी मिटाने का मौका मिल जाता है, इससे यूज़र की लोकेशन वगैरह का पता चल जाता है.

उनका कहना है कि हूज़हियर जिस तरह से डेटा कलेक्ट और स्टोर करता है उससे ऐसा लगता है कि वह ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के प्राइवेसी नियमों का हनन कर रहा है.

समलैंगिकों को गिरफ़्तार कर ले जाती पुलिस (फ़ाइल फ़ोटो)

समलैंगिकों को किस तरह निशाना बना रहे अपराधी

बीबीसी की ओर से हूज़हियर से औपचारिक संपर्क करने के बाद ही इसने अपनी सेटिंग बदल दी. उसने ‘सीकिंग सेम सेक्स’ वाली कैटेगरी हटा दी. इससे लोगों के पहचाने जाने का डर हो सकता था.

हूज़हियर ने बीबीसी की इस पड़ताल का खंडन किया है कि उसके ऐप में कमज़ोरियां पाई गई हैं.

उनका कहना है कि जब भी इस तरह की समस्याएं बताई गईं, उसने तुरंत इसका समाधान किया. इस मामले में उसका रिकॉर्ड बहुत मज़बूत है. वो मिस्र में एलजीबीटी समुदाय के लिए कोई सर्विस नहीं चलाते..

पुलिस और अपराधियों की ओर से एलजीबीटी समुदाय के लोगों की पहचान के लिए ग्रिंडर ऐप का भी इस्तेमाल किया गया था.

इस ऐप का कहना है, ”हम एलजीबीटी कार्यकर्ताओं,अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ व्यापक पैमाने पर काम करते हैं. हम इस इलाके में अपने यूज़र्स की सुरक्षा के लिए सेफ़्टी-टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं. ”

एलजीबीटी समुदायों के लोगों की तलाश के लिए अपराधी भी उसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं जिसका इस्तेमाल पुलिस कर रही है. ये अपराधी इस समुदाय के लोगों पर हमला करके उन्हें अपमानित करते हैं. वे उनसे यह कर वसूली करते हैं कि उनके वीडियो ऑनलाइन डाल दिए जाएंगे.

हमने ऐसे दो लोगों लैला और जमाल (काल्पनिक नाम) को ढूंढा जिनके वीडियो दो साल पहले मिस्र में वायरल कर दिए गए थे. वीडियो में दिख रहा है कि उन्हें ज़बर्दस्ती कपड़े उतारने और डांस करने के लिए बाध्य किया जा रहा है.

इस दौरान उन्हें गालियां दी जा रही हैं और उनसे मारपीट हो रही है. चाकू की नोक पर उनसे उनका नाम पूछा जा रहा है और ये क़ुबूल करने के लिए कहा जा रहा है कि वे समलैंगिक हैं.

उन लोगों ने कहा कि इसके पीछे बाकर और याह्या का हाथ था. ये इस मामले में कुख्यात हैं. हमने कम से कम ऐसे चार वीडियो देखे जिसमें बाकर और याह्या दिख रहे हैं.

उन्हें एलजीबीटी लोगों को गालियां देते या उनसे वसूली करते देखा जा रहा है. इस तरह के वीडियो वॉट्सऐप, यूट्यूब और फ़ेसबुक पर अपलोड किए जाते रहे हैं.

इनमें से एक वीडियो में 18 साल के समलैंगिंक पुरुष सईद (काल्पनिक नाम) कह रहे हें कि वो सेक्स वर्कर हैं. उनके साथ क्या हुआ था ये जानने के लिए मैंने उनसे मुलाकात की.

सईद ने बताया कि उन्होंने पहले क़ानूनी कार्रवाई करने का मन बनाया था, लेकिन उनके वकीलों ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि उन पर हुए हमले की तुलना में यौन अभिरुचि को उजागर करना ज़्यादा बड़ा अपराध साबित होगा.

सईद अब अपने परिवार से अलग हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि परिवार वालों को अपराधियों की ओर मिले वीडियो के बाद मेरा उनसे अलगाव हो गया.

वो कहते हैं, ”इस घटना के साथ मैं डिप्रेशन से जूझ रहा हूं. ये वीडियो मिस्र में मेरे सभी दोस्तों के पास पहुंच गया है. मैं अब बाहर नहीं निकलता हूं. और मेरे पास फ़ोन भी नहीं है.

”मेरे बारे में कोई कुछ भी नहीं जानता था.”

सांकेतिक तस्वीर

मुट्ठी भर अपराधी ही गिरफ़्तार

इस तरह के अपराध के बाद कुछ ही लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.

इस बात से बड़ा झटका लगा कि अपराधियों का एक सरगना याह्या समलैंगिक है और इंटरनेट पर अपने सेक्स वर्क के बारे में पोस्ट करता रहता है.

उसका समलैंगिक होना ही शायद उसे समलैंगिकों के खिल़ाफ अपराध करने में मदद करता है.

क्योंकि उसे पता है कि उनकी कमज़ोरियां कहां हैं और उन्हें कैसे टारगेट किया जा सकता है.

हमारे पास इस बात कोई सबूत नहीं हैं कि याह्या हाल के हमलों में शामिल है. उसने इस तरह किसी भी गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है.

मिस्र के अंदर इस तरह के किसी मुद्दे की कवरेज 2017 से ही प्रतिबंधित है.

उस वक्त देश में मीडिया रेगुलेशन की सुप्रीम काउंसिल ने एलजीबीटी ब्लैकआउट कर दिया है. सिर्फ़ उसी स्थिति में कवरेज होती है जब माना जाता है कि समलैंगिकों का व्यवहार अनुचित था.

एलजीबीटी समुदाय के समर्थक वकील (जिनमें से कई निर्वासन में हैं) इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं कि मिस्र में इन दिक़्क़तों को मीडिया में कवर किया जाए. या फिर मसले को पर्दे के पीछे ही निपटाया जाए

लेकिन लैला, सईद, जमाल और लैथ जैसे पर्दे के पीछे से निकल कर आए और अपनी चुप्पी तोड़ी.

Related Articles

Back to top button