Uttarakhand

HC ने रोडवेज कर्मचारियों के वेतन के लिए 23 करोड़ रुपए तत्काल जारी करने के दिए निर्देश

नैनीताल, हाई कोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों के वेतन के लिए 23 करोड़ रुपए मंगलवार शाम या बुधवार सुबह तक जारी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही परिवहन निगम के एमडी को उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड की संपत्तियों का पूरा विवरण समेत रिवाइवल प्लान तैयार कर सचिव को देने को कहा है। ताकि सचिव प्लान सरकार के समक्ष रखें और उस पर आगामी कैबिनेट उस पर निर्णय ले सके।

मुख्य सचिव कैबिनेट के निर्णय की जानकारी कोर्ट को दें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में उप्र के साथ परिसंपत्तियों के बंटवारे में 27 करोड़ उत्तराखंड को देने पर लगे स्थगनादेश को हटाने के लिए सरकार से पैरवी करने को कभी कहा है। इसकी जानकारी भी अगली सुनवाई में देनी होगी। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कैबिनेट बैठक बुलाने का अनुरोध अस्वीकार होने पर आश्चर्य जताते हुए टिप्पणी की कि इसका मतलब सरकार का रोडवेज की समस्या पर ध्यान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण हुए नुकसान के लिए कर्मचारी जिम्मेदार नहीं हैं। काम के बदले वेतन उनका मूलभूत अधिकार है। सरकार यह अधिकार नहीं छीन सकती।

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन व रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें मुख्य सचिव ओमप्रकाश, वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, रोडवेज एमडी अभिषेक रुहेला वचुर्अली पेश हुए। वित्त सचिव ने कोर्ट को बताया कि अप्रैल 2020 से अब तक रोडवेज को 190 करोड़ से अधिक दिए जा चुके हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह वेतन मद के नहीं, हिललॉस के हैं। यह रोडवेज कर्मचारियों का अधिकार था, आपने कोई दान नहीं दिया है। दिसंबर तक वेतन के लिए 102 करोड़ और चाहिए। कोर्ट ने पूछा कि हिललॉस के ही 23 करोड़ कब देंगे।

वित्त सचिव ने कहा कि रकम सामान्य प्रक्रिया के तहत अभी ट्रेजरी में हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि असामान्य परिस्थिति में सामान्य प्रक्रिया क्यों अपनाई जा रही है। मुख्य सचिव से मंगलवार शाम तक या बुधवार तक 23 करोड़ जारी करने पर सवाल पूछा तो सीएस ने कहा आज शाम तक या कल सुबह तक रकम जारी कर दी जाएगी। मुख्य सचिव ने बताया कि रोडवेज का रिवाइवल का प्रस्ताव तैयार है। आने वाले समय में बसें चलेंगी तो वित्तीय हालात ठीक हो जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि प्लानिंग का सिद्धांत है कि खराब से खराब समय के लिए तैयारी करनी चाहिए। लिहाजा दिसंबर 2021 तक का प्लान बनाना चाहिए था। यदि अफसर कैबिनेट के सामने सही तथ्य नहीं रखेंगे तो क्या होगा।

चाय पर बैठकर भी प्लानिंग कर सकते हैं अफसर

कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा कि वेतन के 23 करोड़ अब तक रिलीज क्यों नहीं किए गए। क्या अफसरों को फीलगुड दिखाने की ट्रेनिंग मिलती है? मुख्य सचिव ने कोर्ट को बताया कि 25 जून को कैबिनेट बैठी थी, अगली बैठक में यह प्रकरण रखा जाएगा। वित्त सचिव से कहा कि कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया। अब डीजल के दाम भी बढ़ गए हैं, आपके पास बसें चलाने के लिए धन नहीं है तो निगम कैसे चलेगा। सचिव परिवहन से कहा कि आप अधूरा प्रपोजल क्यों लाते हो। जबकि मुख्य सचिव, परिवहन सचिव व वित्त सचिव तीनों वरिष्ठ हो। आप चाय पर बैठकर ही प्रपोजल मिलकर क्यों नहीं बनाते। जिम्मेदारी एक दूसरे के सिर पर क्यों डाल देते हो। इससे ही समस्या और बढ़ गई है। रोडवेज के अधिवक्ता एमसी पंत ने कहा कि एमडी की ओर से तैयार प्लान में भविष्य का वेतन, पीएफ, ग्रेच्युटी, ईएसआइ का जिक्र नहीं है। ईएसआइ व पीएफ जमा नहीं होने से कर्मचारियों के भविष्य के साथ ही स्वास्थ्य समस्या आ रही है।

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