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गंगाशील अस्पताल बरेली में 70 वर्षीय बुजुर्ग का हुआ छोटे चीरे से आधुनिक मिनिमल इनवेसिव ट्रांसकथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन

गंगाशील अस्पताल बरेली में 70 वर्षीय बुजुर्ग का हुआ छोटे चीरे से आधुनिक मिनिमल इनवेसिव ट्रांसकथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) तकनीक से हार्ट के वाल्व का रिप्लेसमेंट

बरेली : गंगाशील अस्पताल हृदय रोग विशेषज्ञो (कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन एवं एनेस्थेटिस्ट की टीम) द्वारा एओर्टिक स्टेनोसिस बीमारी का सफल इलाज कर 70 वर्षीय बुजुर्ग मरीज सीताराम गुप्ता की जान बचाई। गंगाशील अस्पताल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निशांत गुप्ता, डॉ. राहुल सिंह एवं डॉ. मो. कलीम, डॉ. विशाल अग्रवाल और उनकी टीम ने मिलकर मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया ट्रांसकथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) से इस बीमारी का सफल इलाज किया। एओर्टिक स्टेनोसिस बीमारी में हार्ट के वाल्व ख़राब होने से रक्त नलिका पतली हो जाती है, जिससे रक्त का प्रवाह कम हो जाता है जिससे हृदय पर अधिक दबाव पड़ना शुरू हो जाता है और सही समय से इलाज ना हो तो हार्ट फेलियर का जोखिम बढ़ सकता है। अधिकांशतः यह बीमारी 60 वर्ष से अधिक उम्र वालो को प्रभावित करती है।

डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि मरीज सीताराम को पिछले एक साल से सांस लेने में परेशानी हो रही थी और वो सही से चल नहीं पा रहे थे, बार बार चक्कर आते थे। जब उनको OPD में देख कर Echocardiography की जांच की गई, तब पता चला कि मरीज को एओर्टिक स्टेनोसिस की बीमारी है और हमने तीमारदारों को इलाज के सभी विकल्प बताये और उनकी सहमति से ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (TAVR) प्रक्रिया को किया। यह एक विशिष्ट तकनिकी प्रक्रिया है जिसमे कैथेटर के माध्यम से ख़राब वाल्व की जगह नया वाल्व लगाया जाता है, इस प्रक्रिया में अस्पताल के संक्रमण की सम्भावना भी बहुत कम हो जाती है एवं अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है।

मरीज के पुत्र डॉ. पीयूष गुप्ता बताते है की डॉ. राहुल सिंह के परामर्श उपरांत विगत एक वर्ष में कई बार सांस की दिक्कत की वजह से अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और पापा एक बार तोह मौत के मुँह से वापस बच कर आये है। और ७० की उम्र में सर्जरी कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे, परन्तु गंगाशील अस्पताल एवं डॉक्टर की टीम पे भरोसा कर के TAVI कराने का निर्णय लिया।

डॉ. निशांत गुप्ता ने TAVR के फायदे बताते हुए कहा की मिनिमल इनवेसिव कार्डियक प्रोसीजर में परंपरागत ओपन हार्ट सर्जरी के मुकाबले शरीर पर छोटा चीरा लगाया जाता है। इस प्रोसीजर में कम निशान, कम ब्लड लॉस और इन्फेक्शन का न्यूनतम जोखिम होता है। मासपेशियो और टिश्यू को कम से कम नुकसान पहुंचाए बिना प्रक्रिया को किया जाता है जिससे रिकवरी जल्दी हो जाती है। मरीजों को हॉस्पिटल में कम समय के लिए रुकना पड़ता है और वह अपनी सामान्य गतिविधियाँ जल्द शुरू कर सकते है।

कार्डियक सर्जरी विभाग के हेड डॉ. विशाल अग्रवाल ने बताया की TAVI की प्रक्रिया के दौरान किसी भी नोन कॉम्प्लीकेशन्स में ओपन हार्ट सर्जरी की जरुरत इमरजेंसी में पड़ सकती है इसलिए श्री सीताराम जी के प्रोसीजर के समय वे स्वयं अपनी पूरी टीम के साथ कैथ लैब में मौजूद थे। डॉ. विशाल पूर्व में लगभग १० वर्षों से अधिक दिल्ली के विभन्न अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे चुके है उन्हें बताया की दिल्ली में इस इलाज का खर्च तक़रीबन बीस बाईस लाख के ऊपर आता है। आज सीताराम जी बिलकुल स्वस्थ और आप के समक्छ है।

गंगाशील अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ़ कार्डियक साइंसेज में अनुभवी हृदय रोग विशेषज्ञों की टीम जिसमे तीन कार्डियोलॉजिस्ट – डॉ. निशांत गुप्ता, डॉ. राहुल सिंह, डॉ. मो. कलीम, दो कार्डियक सर्जन डॉ. विशाल अग्रवाल, डॉ. हिमांशु जोशी, एनेस्थेटिस्ट डॉ. रणधीर सिंह, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉ. ज्ञानेंद्र गुप्ता एवं परफुसिओनिस्ट – संजीव चौहान की फुल-टाइम पैनल है। चिकित्सको के अलावा कैथ लैब टेक्निशन – टेक्निशंस संदीप सिंह, राहुल तोमर एवं आशीष मिश्रा एवं कार्डियक सर्जरी ओ टी टेक्निशन सज्जाद एवं संजय की उपलब्धता 24*7 सुविधाओं के लिए सदैव तत्पर रहते है। डॉ. शालिनी माहेश्वरी ने बताया की गंगाशील अस्पताल ने एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, बेलन मिटूल वाल्वोटॉमी (बी एम वी), पेसमेकर इम्प्लांटेशन, बाई-वी पेसमेकर, TAVI, बाईपास सर्जरी (CABG), वाल्व रिप्लेसमेंट (AVR, MVR, TVR, DVR) दिल के छेद का ऑपरेशन (ASD, VSD), टॉफ (TOF) के साथ साथ विभिन्न थोरकासिक एवं वैस्कुलर सर्जेरीएस की सुविधा चौबीस घंटे उपलब्ध है।

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