‘गगनयात्री’ शुभांशु शुक्ला, भावी पीढ़ी में जगाई अंतरिक्ष की जिज्ञासा

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में इसरो के सभी प्रयोग पूरे कर धरती पर लौटे भारत के ‘गगनयात्री’ शुभांशु शुक्ला, भावी पीढ़ी में जगाई अंतरिक्ष की जिज्ञासा सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में हुआ सजीव प्रसारण, भावुक हुआ पूरा माहौल लखनऊ, 15 जुलाई। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के छात्र एवं अन्तरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान ने आज शाम जैसे ही प्रशान्त महासागर में कैलीफोर्निया तट पर सफल लैंडिग की, पूरे देशवासी खुशी व गर्व से झूम उठे। सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में सैकड़ों छात्रों, शिक्षकों, गणमान्य अतिथियों एवं शुभांशु के माता-पिता सहित परिवारजनों ने इस ऐतिहासिक क्षण को लाइव देखा और जैसे ही कैप्सूल ने प्रशांत महासागर की जल सतह को छुआ, ऑडिटोरियम का माहौल अत्यन्त भावुक हो उठा और पूरा ऑडिटोरियम ‘भारत माता की जय’ के नारों, तालियों और गले मिलने व खुशी से गुंजायमान हो उठा।

शुभांशु 25 जून को फाल्कन-9 रॉकेट से अन्तरिक्ष की उड़ान पर रवाना हुए थे और 26 जून को अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से जुड़ गए थे। उन्होंने अंतरिक्ष में 18 दिन बिताए, 310 से अधिक कक्षाएँ पूरी कीं और लगभग 1.3 करोड़ किमी की दूरी तय की। इस दौरान उन्होंने इसरो द्वारा सौंपे गए सातों सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों को सफलतापूर्वक पूरा कियाकृजिनमें मांसपेशी पुनर्जनन, टार्डिग्रेड परिक्षण, बीज अंकुरण, शैवाल संवर्धन, फसल सहनशीलता, विकिरण प्रभाव एवं मानव शरीर विज्ञान संबंधी अध्ययन शामिल थे। ये प्रयोग भारत के आगामी गगनयान कार्यक्रम हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। शुभांशु के अन्तरिक्ष यान के पानी में उतरने के साथ ही सी.एम.एस. प्रबंधन एवं शुभांशु के परिवार ने त्रि-स्तरीय केक काटा। इस केक के तीन स्तर लाँच, आईएसएस पर प्रवास और धरती पर वापसी के प्रतीक स्वरूप थे। इस अवसर पर पूरा ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

इस अवसर पर शुभांशु के पिता श्री शम्भू दयाल शुक्ल ने भावुक होकर कहा, ‘यह उपलब्धि भारतवासियों के सामूहिक विश्वास का परिणाम है। मैं डा. भारती गांधी, प्रो. गीता गांधी किंगडन और सी.एम.एस. परिवार का हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।’ सी.एम.एस. प्रबंधक प्रो. गीता गांधी किंगडन ने कहा, ‘शुभांशु की सफलता ने हमारे छात्रों की कल्पनाशक्ति को पंख दिए हैं। वह सी.एम.एस. के आदर्श वाक्य ‘जय जगत’ का जीवंत उदाहरण हैं और सिद्ध करते हैं कि अंतरिक्ष कोई कल्पना नहीं, बल्कि हमारा भविष्य है।’ सी.एम.एस. अलीगंज कैम्पस, जहाँ शुभांशु ने शिक्षा प्राप्त की थी, वहाँ के छात्र भी अत्यधिक प्रेरित दिखे।

कक्षा 9 की छात्रा अनन्या मिश्रा ने कहा, ‘अब मैं भी अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती हूँकृअगर वो कर सकते हैं, तो मैं भी कर सकती हूँ।’ कक्षा 11 के आदित्य वर्मा ने कहा, ‘पहले यह सपना दूर लगता थाकृ आज यह वास्तविकता है।’ सी.एम.एस. की संस्थापक-निदेशिका डा. भारती गांधी ने समापन में कहा, ‘शुभांशु हमारे मार्गदर्शक सितारे हैंकृसाक्षात प्रमाण हैं कि गहरे मूल्यों और साहसी सपनों के साथ सितारों तक पहुँचा जा सकता है।’ शुभांशु की यह यात्रा भारत में अंतरिक्ष शिक्षा के उत्थान का संकेत है। जैसे नासा, इसरो और स्पेसएक्स इस ऐतिहासिक उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वैसे ही सी.एम.एस. एक नई पीढ़ी के अंतरिक्ष स्वप्नदर्शियों के जन्म का जश्न मना रहा है।
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