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Nestle : अपने बच्चे को दे रहे नेस्ले के फूड प्रोडक्ट्स तो हो जाएं सावधान, भारत सरकार ने दिए जांच के आदेश

Nestle : अगर आप अपने बच्चों को नेस्ले के फूड प्रोडक्ट्स – मिल्क, सेरेलेक आदि खिला रहे हैं, तो सावधान हो जाइये, क्योंकि एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। नेस्ले, भारत सहित निम्न और मध्यम आय वाले कई देशों में बच्चों को दिए जाने वाले सेरेलेक और दूध में मिलावट करता है, जो बच्चों के लिए खतरनाक है। यह खुलासा स्विस जांच एजेंसी ‘पब्लिक आई’ और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) ने किया है। वहीं, इस मामले को लेकर भारत सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कहा कि यदि फूड प्रोडक्टस मे मिलावट पाई गई तो बड़ी कार्रवाई की जाएगी।

150 उत्पादों की जांच की गई

‘पब्लिक आई’ और ‘आईबीएफएएन’ ने कम आय वाले देशों में नेस्ले कम्पनी द्वारा बेचे गए लगभग 150 उत्पादों की जांच की है। जांच में पता चला कि नेस्ले के लगभग 150 उत्पादों की जांच की है। जांच में पता चला कि नेस्ले के लगभग सभी उत्पादों में अतिरिक्त चीनी की मिलावट की जाती है।रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फिलीपींस में बेचे जाने वाले नेस्ले के फूड प्रोडक्ट्स में चीनी की सबसे अधिक मात्रा – 7.3 ग्राम पाई गई है। एक से तीन साल तक के बच्चों के लिए बेचे गए मिल्क उत्पाद में भी अधिकांश चीनी पाई गई है, जिसकी मात्रा लगभग दो ग्राम है। वहीं, स्विट्जरलैंड और मुख्य यूरोपीय बाजारों में नेस्ले के उत्पाद बिना चीनी मिलाए बेचे जाते हैं।

दोहरा मानदंड अपनाना बंद करे नेस्ले

इसके अलावा, पब्लिक आई और आईबीएफएएन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि स्विस कंपनी नेस्ले पेशेवर चिकित्सकों और प्रभावशाली लोगों के माध्यम से आक्रामक विज्ञापन करती है, जिससे माता-पिता उसके फूड प्रोडक्ट्स को लेकर आकर्षित होते हैं।जांच एजेंसी ने नेस्ले से कहा कि वह दोहरे मानक को समाप्त कर दुनिया के हर हिस्से में शिशुओं के लिए बेचने वाले उत्पादों में चीनी मिलाना बंद करे।

बाल रोग विशेषज्ञों ने भी नेस्ले कम्पनी द्वारा अपनाए जा रहे दोहरे मापदंडों की कड़ी निंदा की है।उन्होंने कहा कि फूड प्रोडक्ट्स में चीनी की अधिक मात्रा से बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं। इसके साथ उनमें चीनी की लत लग जाती है, जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही नहीं है।

डब्लूएचओ ने दी कड़ी चेतावनी

वहीं, डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि बच्चों को जीवन की शुरुआत में ही अतिरिक्त चीनी देने से उन पर मोटापा और अन्य बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, डब्लूएचओ वर्ष 2022 से ही तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बाजारों में उपलब्ध खाद्य उत्पादों में अतिरिक्त चीनी पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है। जबकि विकासशील देशों यानी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में नियमों की कमजोरी का फायदा उठाते हुए नेस्ले अपने अतिरिक्त चीनी वाले खाद्य पदार्थों को बेच रही है।

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