कैंसर की शुरुआती पहचान से सफल ट्रीटमेंट की संभावना बढ़ जाती है
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नई दिल्ली, आज लाखों लोग कैंसर की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं और मृत्यु को प्राप्त होते हैं। कैंसर के विकास को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन अगर प्रभावशाली स्क्रीनिंग विधि के द्वारा शुरुआती अवस्था में बीमारी को पहचान लिया जाए, तो नतीजे बेहतर हो सकते हैं। वहीं, अगर देरी होगी तो कैंसर थेरेपी भी असरदार साबित नहीं होगी। शरीर में कैंसर है इसका पता लगाने के दो तरीके हैं – पहला शुरुआती डायग्नोसिस और दूसरा स्क्रीनिंग। जल्दी डायग्नोसिस, रोगियों का जल्द से जल्द पता लगाने के लिए हैं, वहीं स्क्रीनिंग से स्वस्थ व्यक्तियों का टेस्ट किया जाता है, ताकि लक्षण के प्रकट होने से पहले कैंसर से पीड़ित लोगों की पहचान की जा सके।
मेडिकल ऑन्कोलॉजी और हेमेटो-ऑन्कोलॉजी डायरेक्टर, डॉ. हर्षवर्धन आत्रेय ने बताया, स्क्रीनिंग में स्वस्थ लोगों का सिंपल टेस्ट किया जाता है, जिससे बीमारी के होने के बारे में पता चलता है, भले ही बीमारी के लक्षण दिखाई न दे रहे हों। मिसाल के तौर पर ब्रेस्ट कैंसर में स्क्रीनिंग के लिए मैमोग्राफी टेस्ट किया जाता है, जबकि सर्वाइकल कैंसर में पैप स्मीयर, HPV DNA टेस्ट या एसिटिक एसिड के साथ विजुअल टेस्ट किया जाता है।
लगभग 40% कैंसर के लिए आहार संबंधी कारकों को जिम्मेदार माना जाता है। अस्वास्थ्यकर आहार को कैंसर के रोकथाम योग्य कारण के रूप में तम्बाकू के बाद दूसरा स्थान दिया गया है। हाल के साल में जो आकड़े आए हैं, उससे यह पता चलता है कि ज्यादा वजन या मोटापा का सीधा संबंध कई तरह के कैंसर जैसे कोलोरेक्टल, ब्रेस्ट, एंडोमेट्रियम और किडनी के कैंसर से है। आज सही आहार बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे कुछ प्रकार के कैंसर जैसे ओरल, इसोफेजियल, गैस्ट्रिक और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए डाइट में ताजी सब्जियों और सीजनल फ्रूट्स को शामिल करें। इसके अलावा शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं की मरम्मत और विकास के लिए दालें भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
इन आहारों से दूरी बनाएं
1. पैकेज बटर, घी, वनस्पति और कई खाद्य तेल में ट्रांस फैट एसिड होता है, जिनकी सेल्फ लाइफ ज्यादा तो होती है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ट्रांस फैट शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं।
2. तलने और खाना बनाने के लिए बार-बार तेल के इस्तेमाल करने से बचें। जब तेल का रंग बदलता है और चिपचिपा हो जाता है, तो यह अत्यधिक कार्सिनोजेनिक होता है।
3. कुकिंग सोडा के इस्तेमाल से आहार से विटामिन हट जाते हैं।
4. कटी हुई सब्जियों को पानी में न छोड़ें या फिर लंबे समय के लिए हवा में न रखें। इससे उसमें शामिल पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
5. खाने के साथ चाय का सेवन न करें। चाय में मौजूद टैनिन मिनरल्स के अवशोषण को रोकता है।
6. प्रोसेस्ड या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में नमक, प्रिजर्वेटिव और वसा की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए इसका सेवन कम करें।
7. बिना ढक्कन के खाना बनाने से आहार में शामिल विटामिन्स खत्म हो जाते हैं, इसलिए ढक कर खाना बनाएं।
8. टेबल पर खाना खाने के दौरान अतिरिक्त नमक न लें।
कैंसर के रिस्क को कैसे कम करें
1. टेस्टिंग गाइडलाइन्स को फॉलो करें
2. अपने परिवार की मेडिकल इतिहास के बारे में जानें
3. स्वस्थ और संतुलित आहार का सेवन करें
4. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
5. धूम्रपान करने से बचें
6. ज्यादा शराब पीने से बचें
जितना जल्दी कैंसर का पता चलेगा उतना ही जल्दी मरीज को बेहतर और ज्यादा उपचार के विकल्प मिलेंगे। साथ ही, डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट का खर्च भी कम आएगा। इसलिए अपने शरीर का नियमित रूप से टेस्ट करवाएं और अपने लक्षणों पर ध्यान दें।
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