जानिए कैसे विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत पंचायत प्रतिनिधियों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता
विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत भाजपा पंचायतों में अपनी जमीन सशक्त करने में जुटी है, लेकिन उसे ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिलों में झटका भी लगा है। ऊधमसिंह नगर की जिला पंचायत अध्यक्ष और हरिद्वार के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष समेत वहां के कई पंचायत प्रतिनिधि भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। यद्यपि, भाजपा का कहना है कि इन पंचायत प्रतिनिधियों को पार्टी से जाना ही था। इससे भाजपा की तैयारियों पर कहीं कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों में भाजपा का दबदबा है। इसे देखते हुए विधानसभा चुनाव में लोकतंत्र की बुनियाद मानी जाने वाली गांव की सरकार यानी पंचायतों के प्रतिनिधियों के माध्यम से पार्टी सभी जिलों में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूती दे रही है। पार्टी इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है, लेकिन राजनीतिक उठापठक के दौर में उसे दो जिलों के घटनाक्रम ने सोचने पर विवश भी किया है।
ऊधमसिंह नगर जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष अपने साथ जिला पंचायत के आधे सदस्यों को भी कांग्रेस में ले गई हैं। इसके अलावा एक दर्जन से अधिक ग्राम प्रधान कांग्रेस में शामिल हुए हैं। हरिद्वार जिले में पंचायतों का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है। वहां के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, जो छह माह पहले तक भाजपा के थे।
उधर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने कहा कि इन दोनों जिलों के जो लोग भाजपा छोड़कर गए हैं, उन्हें लेकर न तो पार्टी चिंतित है और न इस बारे में सोच रही। उन्होंने कहा कि पिछली बार कुछ लोग सत्ता की मलाई खाने के लिए भाजपा में आए। सत्ता सुख भोगने के बाद इन्हें लगा कि भाजपा तवज्जो नहीं दे रही तो ये चले गए। इससे पहले इनके बड़े नेता भी भाजपा से जा चुके हैं।
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