भीड़ प्रबंधन पर सख्ती: काईंची धाम में ‘क्राउड सर्वे’ शुरू

हरिद्वार की घटना के बाद प्रशासन सतर्क, तीर्थस्थलों पर निगरानी तेज़
देहरादून/नैनीताल।
हरिद्वार के प्रसिद्ध मानसा देवी मंदिर में हाल ही में हुई भीड़-घटना और भगदड़ जैसी स्थिति के बाद उत्तराखंड प्रशासन ने सभी प्रमुख तीर्थस्थलों पर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा शुरू कर दी है। इसके तहत, नैनीताल ज़िले में स्थित अत्यंत लोकप्रिय काईंची धाम में ‘क्राउड सर्वे’ (भीड़ सर्वेक्षण) की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
यह सर्वे भीड़ के आने-जाने के मार्ग, आपातकालीन निकासी योजनाएं, भीड़ के समयानुसार आंकड़े, और सुरक्षा इंतजामों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। इसके माध्यम से मंदिर परिसर में एक समय में कितने श्रद्धालु सुरक्षित रूप से मौजूद रह सकते हैं, इसका मूल्यांकन किया जा रहा है।
मानसा देवी मंदिर में पिछले सप्ताह बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र हो गई थी, जिसके कारण धक्का-मुक्की और अफरा-तफरी की स्थिति बन गई थी। कई लोगों को हल्की चोटें भी आईं। इस घटना के बाद प्रशासन को भीड़ नियंत्रण की योजनाओं को पुनः सक्रिय करने और अपडेट करने की आवश्यकता महसूस हुई।
- सभी बड़े मंदिरों और धामों में सीसीटीवी कैमरे और अलर्ट सिस्टम लगाने की प्रक्रिया तेज़ की जा रही है।
- स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि वे भीड़ प्रबंधन की SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करें।
- त्योहारों और विशेष अवसरों के दौरान भीड़ की पूर्वानुमान रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाएगी।
नैनीताल जिला अधिकारी ने बताया,
“काईंची धाम जैसे स्थानों पर भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हमारी प्राथमिकता है कि श्रद्धालु सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से दर्शन कर सकें। क्राउड सर्वे के आधार पर नए इंतजाम किए जाएंगे।”
काईंची धाम, बाबा नीम करौली महाराज का आश्रम है, और यह न केवल भारत बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय है। Apple के CEO टिम कुक और Facebook के मार्क जुकरबर्ग जैसे कई वैश्विक नेता यहां दर्शन कर चुके हैं। ऐसे में यहां भीड़ नियंत्रण की महत्ता और बढ़ जाती है।
हरिद्वार की घटना ने उत्तराखंड सरकार और प्रशासन को सतर्क कर दिया है। अब तीर्थस्थलों पर आधुनिक तकनीकों और योजनाओं के ज़रिए श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य शुरू हो चुका है। काईंची धाम इसका पहला उदाहरण बन रहा है।
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