Crime

पूर्णिया में काला जादू के संदेह में एक ही परिवार के पाँच लोगों की नृशंस हत्या

दिल दहला देने वाली घटना रविवार देर रात को घटी, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। घटना में एकमात्र जीवित बचे 16 वर्षीय सोनू कुमार ने सोमवार सुबह पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद मामला प्रकाश में आया।

पुलिस के अनुसार, मारे गए लोगों की पहचान बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी सीता देवी, बेटा मंजीत उरांव, बहू रानिया देवी और दादी काटो देवी के रूप में हुई है। सोनू कुमार, जो इस परिवार का बेटा है, हमलावरों के आने से पहले ही छिपने में सफल रहा और बाद में उसने गांव से बाहर भागकर पुलिस को पूरी जानकारी दी।

गांव के कुछ लोगों ने आरोप लगाया था कि इस परिवार द्वारा काला जादू किया जा रहा है, जिससे गांव में बीमारियाँ फैल रही हैं। विशेष रूप से, एक स्थानीय ग्रामीण के बच्चे की मौत और दूसरे की गंभीर हालत के लिए परिवार को जिम्मेदार ठहराया गया।

इसी अंधविश्वास के चलते रविवार देर रात 40–50 लोगों की भीड़ हथियारों के साथ परिवार के घर पर टूट पड़ी। घर में घुसकर सभी को बेरहमी से पीटा गया और फिर उन पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा दी गई। हत्या के बाद शवों को गमछों में लपेटकर पास के तालाब में फेंक दिया गया।

सोमवार सुबह पुलिस ने तालाब से चार शव बरामद किए, जबकि पाँचवां शव बाद में मिला। पूर्णिया पुलिस अधीक्षक की अगुवाई में विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है। अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस डॉग स्क्वाड और फॉरेंसिक टीम की मदद से साक्ष्य जुटाने में लगी है।

घटना पर विपक्ष के नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस हत्या को “कानून व्यवस्था की विफलता” बताया और राज्य सरकार से तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर व्यापक आक्रोश देखा जा रहा है।

यह घटना न केवल अंधविश्वास की भयावहता को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में फैली अज्ञानता और कानून व्यवस्था की कमजोरियों पर भी सवाल खड़े करती है।

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