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उत्तराखंड: दशकों से जल स्रोतों की रक्षा कर रहे हैं द्वारिका प्रसाद सेमवाल, चला रहे हैं अनोखी मुहिम

उत्तराखंड के टिहरी-उत्तरकाशी क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता द्वारिका प्रसाद सेमवाल दशकों से जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए समर्पित हैं। उनकी अनोखी पहल “कल के लिए जल” अभियान ने हजारों लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया है।​


🌱 “कल के लिए जल” अभियान की शुरुआत

सेमवाल ने 2021 में उत्तरकाशी के चामकोट गांव में घर-घर जाकर लोगों से वर्षा जल संचयन के लिए गड्ढे और तालाब खोदने की अपील की। शुरुआत में लोगों की प्रतिक्रिया धीमी थी, लेकिन उन्होंने एक भावनात्मक पहलू जोड़ते हुए लोगों से अपने प्रियजनों की स्मृति में जल संरचनाएं बनाने का आग्रह किया। इससे लोगों में भावनात्मक जुड़ाव बढ़ा और अभियान को व्यापक समर्थन मिला। ​


💧 3,500 जल संरचनाओं का निर्माण

सात महीनों में ही सेमवाल और उनके साथियों ने 3,500 से अधिक जल संरचनाएं तैयार कीं, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ और स्थानीय पारिस्थितिकी को बल मिला। ​


🏞️ नीति आयोग से मुलाकात और जलवर्ष 2025

सेमवाल ने जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी से मुलाकात की और जल स्रोतों के आसपास सीमेंट निर्माण पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उनकी संस्था “हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान” वर्ष 2025 को “जलवर्ष” के रूप में मना रही है, ताकि जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके। ​


🛑 अतिक्रमण के खिलाफ संघर्ष

सेमवाल ने देहरादून के 49 तालाबों और जल स्रोतों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। उनका मानना है कि जल स्रोतों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। ​


🌿 सामुदायिक भागीदारी और प्रेरणा

सेमवाल का मानना है कि जल, जंगल और जमीन का गहरा संबंध है और इनका संरक्षण सामूहिक प्रयास से ही संभव है। उनकी पहल ने उत्तराखंड में जल संरक्षण के प्रति नई चेतना जगाई है। ​


द्वारिका प्रसाद सेमवाल की यह पहल न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। उनकी कहानी दिखाती है कि एक व्यक्ति का संकल्प कैसे सामूहिक परिवर्तन ला सकता है।

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