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बसपा सुप्रीमो मायावती की बड़ी बैठक: भाईचारा कमेटी को फिर से करेगी सक्रिय, संगठन विस्तार पर जोर

​बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने 13 साल बाद पार्टी में भाईचारा कमेटियों को पुनः सक्रिय करने का निर्णय लिया है। इस पहल का उद्देश्य विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करना और संगठन को मजबूत करना है। पहले चरण में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्यों को इन कमेटियों में शामिल किया जाएगा, जबकि आगे चलकर ब्राह्मण और अन्य जातियों को भी जोड़ा जाएगा।

इन भाईचारा कमेटियों का गठन जिला स्तर पर किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में समितियां बनाई जाएंगी। इन कमेटियों का कार्य विभिन्न जातियों के बीच समन्वय स्थापित करना और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाना होगा। लखनऊ मंडल में, बसपा सुप्रीमो ने विनय कश्यप और राकेश कुमार गौतम को यह जिम्मेदारी सौंपी है। ​

मायावती ने 25 मार्च को प्रदेश पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें मंडलीय कोऑर्डिनेटर, जिलाध्यक्षों और भाईचारा कमेटियों के सदस्यों को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में संगठन के विस्तार और भाईचारा कमेटियों की भूमिका पर विशेष दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। ​

बसपा का मानना है कि इन भाईचारा कमेटियों के माध्यम से विभिन्न जातियों के बीच समन्वय स्थापित कर पार्टी के जनाधार को मजबूत किया जा सकता है। यह पहल आगामी चुनावों में बसपा के प्रदर्शन को सुधारने में सहायक हो सकती है। ​

इस निर्णय के तहत, बसपा ने प्रत्येक जिले में ओबीसी और एससी समुदायों से दो संयोजकों की नियुक्ति की है, जो पिछड़ा भाईचारा संगठन के तहत कार्य करेंगे और इन समुदायों को पार्टी से जोड़ने का प्रयास करेंगे। लखनऊ जिले में यह जिम्मेदारी विनय कश्यप और राकेश कुमार गौतम को दी गई है। ​

मायावती का यह कदम बसपा के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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