आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने का रास्ता साफ, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की खारिज

मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। भारत में प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें उसने इमरजेंसी स्टे की मांग की थी। कोर्ट में उसने यह दावा किया कि अगर उसे भारत भेजा जाता है, तो वहां उसे प्रताड़ना झेलनी पड़ सकती है। राणा ने खुद को पाकिस्तानी मूल का मुसलमान बताते हुए दलील दी कि इस आधार पर उसे भारत में भेदभाव और यातना का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, उसने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए कहा कि वह गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है और उसे नहीं पता कि वह कितने दिनों तक जीवित रहेगा।
अब तक की कानूनी प्रक्रिया
- 13 नवंबर 2024 – तहव्वुर राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दाखिल की।
- 16 दिसंबर 2024 – अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी. प्रीलोगर ने कोर्ट से राणा की याचिका खारिज करने की सिफारिश की।
- 21 जनवरी 2025 – अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी, जिससे भारत में उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया।
- सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अमेरिकी विदेश विभाग ने प्रत्यर्पण को लेकर आगे की प्रक्रिया पर विचार करने की बात कही।
- अब राणा के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, जिससे 26/11 हमलों के पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद और मजबूत हो गई है।
सुरक्षा का दिया हवाला
राणा ने अमेरिका की कोर्ट में अपनी याचिका में कहा कि भारत में उसकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उसने यह भी दावा किया कि धार्मिक, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक आधार पर उसे वहां निशाना बनाया जा सकता है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। उसका जन्म पाकिस्तान में हुआ था और उसने एक दशक तक पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में काम किया था। उसे 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का करीबी माना जाता है। शिकागो में रहने से पहले वह कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड में भी रह चुका है और उसे सात भाषाओं का ज्ञान है।
मुंबई हमलों में तहव्वुर राणा की भूमिका
राणा पर आरोप है कि उसने 26/11 हमले की साजिश में शामिल डेविड हेडली की हर संभव मदद की। हेडली ने राणा की सहायता से अमेरिका से भारत की कई बार यात्रा की और उन स्थानों की रेकी की, जहां मुंबई हमलों को अंजाम दिया गया था। उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की पूरी मदद की थी। उस पर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने, आतंकवाद को बढ़ावा देने, जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल, साजिश रचने और धोखाधड़ी करने का आरोप है।
अब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, तहव्वुर राणा को भारत लाने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी होने वाली है। इससे 26/11 हमलों के पीड़ितों को न्याय मिलने की राह और स्पष्ट हो गई है।
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