यूपी विधानसभा सत्र: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा पर साधा निशाना, महाकुंभ 2025 पर दी प्रतिक्रिया”
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उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के गंगा नदी को धुलवाने संबंधी बयान पर कड़ा पलटवार किया है। उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एक सामंतवादी परिवार से आते हैं और खुद को असहाय दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
महाकुंभ पर अखिलेश यादव की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया
महाकुंभ 2025 को लेकर अखिलेश यादव द्वारा की गई टिप्पणी पर डिप्टी सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के महत्व को लेकर जो बात कही है, वह पूरी तरह सही है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के कुछ नेता महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन को बदनाम करने में लगे हुए हैं।
केशव प्रसाद मौर्य ने इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है। इसे लेकर किसी भी प्रकार की नकारात्मक टिप्पणी आस्था का अपमान है, जिसे जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने विश्वास जताया कि देश की जनता ऐसे नेताओं से निश्चित रूप से हिसाब लेगी।
महाकुंभ को लेकर राजनीति और जनता की भावना
महाकुंभ हिंदू धर्म में आस्था और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा संगम माना जाता है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और संत महात्मा गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। ऐसे में इस आयोजन पर की गई किसी भी तरह की नकारात्मक टिप्पणी से विवाद उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भाजपा सरकार महाकुंभ के आयोजन को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस पर हो रही राजनीति को आस्था का अपमान मानती है। उनका कहना है कि महाकुंभ का आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ किया जाएगा, और इस आयोजन को बदनाम करने की किसी भी कोशिश का जनता उचित जवाब देगी।
राजनीतिक तकरार और आने वाले चुनावों पर असर
महाकुंभ 2025 को लेकर हो रही बयानबाजी राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बयानबाजी यह संकेत देती है कि आने वाले समय में इस मुद्दे को चुनावी राजनीति में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जहां भाजपा इसे आस्था और सांस्कृतिक विरासत का मुद्दा बना रही है, वहीं विपक्ष इसकी व्यवस्थाओं और खर्च को लेकर सवाल उठा सकता है।
डिप्टी सीएम के इस बयान से यह साफ हो जाता है कि सरकार किसी भी हालत में महाकुंभ पर हो रहे राजनीतिक प्रहारों को सहन करने के मूड में नहीं है और इस आयोजन को ऐतिहासिक और भव्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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