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पति और परिवार साथ हो तो महिला क्या नहीं कर सकती रेखा गुप्ता ने साबित करके दिखा दिया

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पति और परिवार के समर्थन से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ. रेखा गुप्ता ने साबित किया कि अगर पति और परिवार का साथ मिल जाए तो दुनिया जीती जा सकती है. रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं. भाजपा ने उन पर भरोसा जताया है. चलिए उनका पूरा सियासी सफर जानते हैं और समझते हैं कि कैसे पति और परिवार ने उनका साथ दिया

हमारे समाज में एक कहावत है. हर कामयाब पुरुष के पीछे एक महिला होती है. बात बिल्कुल सही है. पर यही बात एक सफल महिला पर भी लागू होती है. अगर किसी महिला को पति और परिवार का साथ मिल जाए तो वह दुनिया में क्या नहीं कर सकती. वह हर कामयाबी के शिखर तक पहुंच सकती है. अपने मकसद में कामयाब हो सकती है. अपने सपनों की उड़ान भर सकती है. रेखा गुप्ता ने यही बात साबित करके दिखाया है.

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Rekha Gupta Delhi CM

जी हां, रेखा गुप्ता दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं. वह दिल्ली की चौथी मुख्यमंत्री हैं. एक महिला होकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय करना इतना आसान नहीं था. हमारे समाज में महिला का यहां तक पहुंच जाना चांद तक पहुंचने जैसा होता है. पर परिवार और पति का साथ हो तो सपनों की परवाज उसे सफलता तक पहुंचा ही देते हैं. रेखा गुप्ता अपनी इस उपबल्धि का क्रेडिट अपने पति और परिवार को देती हैं. उनका मानना है कि उनके पति और परिवार ने अगर साथ न दिया होता तो शायद वह यहां तक नहीं पहुंच पातीं.

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Delhi CM Rekha Gupta

न्यूज18 इंडिया से खास बातचीत में रेखा गुप्ता ने कहा, मेरे पति का मेरा साथ देना… यही मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट है. मेरे राजनीतिक सफर में मुझे पति और परिवार का साथ मिला. इससे बड़ा कोई गिफ्ट मेरे लिए नहीं हो सकता.’

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Delhi CM Rekha Gupta

दिल्ली की मुख्यमंत्री निर्वाचित होने पर रेखा गुप्ता ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का क्षण है. मेरी दो प्राथमिकताएं हैं. जो कमिटमेंट हमने दिल्ली की जनता से किया है, उसे पूरा करना और दूसरा जो सपना मोदी जी ने दिल्ली के लिए देखा है, उसे साकार करना.

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Delhi CM Rekha Gupta

रेखा गुप्ता के पति का नाम है मनीष गुप्ता. रेखा खुद कहती हैं की उनकी सफलता में उनके पति का बड़ा रोल है. न्यूज18 इंडिया ने सवाल किया कि क्या समझदार पति होने का फायदा रेखा गुप्ता को मिला है? इस पर मनीष ने हंसते हुए जवाब दिया कि यह तो रेखा जी ही बता पाएंगी कि मैं समझदार पति हूं या नहीं. उनका बड़प्पन तो यह था कि उन्होंने कहा कि रेखा जी की सफलता में उनका कोई रोल नहीं था. वह स्वंय में परिपूर्ण हैं.

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Rekha Gupta

रेखा के पति मनीष कहते हैं कि हमलोग घर और बाहर दोनों संभालने के लिए टाइम मैनेजमेंट का सहारा लेते हैं. टाइम मैनेजमेंट से कई चीजें आसान हो जाती हैं. हम अपनी ओर से उन्हें (रेखा) स्पेस देते हैं.

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हालांकि, रेखा गुप्ता की मेहनत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. छात्र जीवन से ही वह सक्रिय रही हैं. वह 1993 से ही आरएसएस से जुड़ी रही हैं. वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) की अध्यक्ष रह चुकी हैं. शालीमार बाग से पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बन गई हैं.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से लंबे समय से जुड़ी 50 वर्षीय रेखा हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में शालीमार बाग से विधायक निर्वाचित हुई हैं.हरियाणा के जुलाना में जन्मीं रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से बीकॉम स्नातक हैं. बाद में उन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की और एक वकील के रूप में भी काम किया.

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आरएसएस से पिछले 32 साल से जुड़ीं रेखा ने 1993 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. वह 1995-96 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव बनी थीं और 1996-97 में डूसू अध्यक्ष चुनी गईं. वह 2002 में भाजपा में शामिल हो गईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रहीं. गुप्ता ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की महिला शाखा की प्रभारी के रूप में भी काम किया है.

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Rekha Gupta

वह भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं. साल 2007 में उत्तर पीतमपुरा से पार्षद चुने जाने के बाद रेखा गुप्ता ने महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए काम किया. उन्होंने सुमेधा योजना जैसी पहल शुरू कीं, जिसने आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद की.

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