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69वां महापरिनिर्वाण दिवस : हरियाणा विधान सभा परिसर में प्रतिमा पर पुष्पांजलि

हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर के 69वें महापरिनिर्वाण दिवस पर विधान सभा परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विधान सभा सचिवालय के अधिकारी, कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
विस अध्यक्ष कल्याण ने इस अवसर पर बाबा साहेब के अनेक जीवन प्रसंगों को स्टाफ के साथ साझा करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। मुंबई के एलफिंस्टन हाई स्कूल में पढ़ाई के वक्त उनका परिवार मजदूरों की परेल बस्ती में एक छोटे से कमरे में रहता था। वहां किसी भी प्रकार से रोशनी तक का प्रबंध नहीं था। दीये की टिमटिमाती रोशनी में भी वे लगातार पढ़ते रहते थे। कल्याण ने बाबा साहेब के अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स के दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि कई बार ऐसा भी होता था कि उनके पास खाना खाने के लिए भी रुपये नहीं होते थे।


डॉ. अम्बेडकर ने उस समय की विकट सामाजिक परिस्थितियों में अपनी प्रतिभा के बल पर बड़ा मुकाम हासिल किया। कल्याण ने कहा कि हमें बाबा साहेब के जीवन से प्रेरणा लेकर बड़ा सोचना चाहिए और अपने आप को राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाना चाहिए। इसके लिए अपनी प्रतिभा को पहचानकर उसे तराशना जरूरी है। जैसा कि डॉ. साहब ने भी कहा है -‘चिंतन-मनन मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।’
संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1948 में मसौदा प्रस्तुत किया, जिसे 1949 में न्यूनतम परिवर्तनों के साथ अपनाया गया। डॉ. अम्बेडकर ने अपना पूरा जीवन शिक्षा का प्रसार करने, आर्थिक स्थितियों में सुधार लाने और सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना की थी, जो न केवल राजनीतिक लोकतंत्र को कायम रखे बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय भी हासिल करने को सुनिश्चित करे।

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