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गुरुद्वारा चिल्ला साहिब में 40 दिन का तप… फिर पीरों का अहंकार खत्म किया था गुरु नानक देव ने: गुरुनानक जयंती 2023

सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव ने अपने जीवन में चार उदासी की। इस दौरान हरियाणा की धरती पर उनका आगमन पहली और दूसरी उदासी के समय हुआ। जिसमें वे चार जिलों में गए।पहली उदासी में वे कुरुक्षेत्र , करनाल, जींद और कैथल जिलों में गए। जबकि दूसरी उदासी में वे बठिंडा से सिरसा में आए और राजस्थान के बीकानेर में चले गए। पहली और दूसरी उदासी पंजाब के सुल्तानपुर लोधी से शुरू हुई, जबकि तीसरी और चौथी उदासी करतारपुर से शुरू हुई।

दूसरी उदासी के समय गुरु नानक देव सिरसा पहुंचे

दूसरी उदासी के समय गुरु नानक देव बठिंडा से होते हुए विक्रमी संवत 1567 को सिरसा पहुंचे। सिरसा में उस समय मुसलमान फकीरों का मेला लगा हुआ था। गुरु का पहनावा बड़ा अनोखा था।

पांव में खड़ाऊ थे, माथे पर तिलक और हाथ में आसा। सिर पर रस्सा बंधा था। ऐसा पहनावा देखकर लोग उनके नजदीक आ गए। गुरुनानक ने मरदाने से कहा कि छेड़ रबाब। मरदाने ने रबाब बजाया।

ताबीज से लोगों को ठीक करने का दावा करते थे पीर

पीर अपने आप को करामाती मानते थे। वे धागा और ताबीज से लोगों को ठीक करने का दावा करते थे। वे खुद को खुदा के करीब बताते थे। पीर बहावल और ख्वाजा अब्दुल शकुर खुद को करामाती बताते थे और धागे तबीज करते थे। दोनों अपनी महफिल को छोड़कर गुरुनानक देव के पास गए।

गुरु नानक देव उपदेश कर रहे थे कि खुदा को सदा याद करना चाहिए। ये सुनकर पीर बहावल ने उनसे पूछा कि तुम हिंदू हो या मुसलमान। गुरु नानक ने उत्तर दिया कि ना मैं हिंदू, ना मैं मुसलमान, मैं खुदा का बंदा हूं। उनकी बंदगी करने आया हूं।

आप जैसे पीरों को क्रोध करना अच्छा नहीं- गुरु नानक देव

गुरु नानक देव ने पीर की जंतर-मंतर की सारी शक्ति खींच ली। बहावल ने कहा तुम लोगों को उपदेश दे रहा हैं। तुमनें कौन सी तपस्या या साधना की है। गुरु नानक देव ने कहा कि पीर जी बैठे। आप जैसे पीरों को क्रोध करना अच्छा नहीं है। मैं तो वहीं करता हूं, जो मेरा निरंकार मेरे को करने के लिए कहता है।

शर्मिंदा हुए पीर भी गुरु नानक देव को परखना चाहते थे। उन्होंने चुनौती दी कि अगर तुम बलवान हो हमारे साथ कोठरियों में बैठकर तप करो। लगातार 40 दिन तक कुछ भी नहीं खाना।

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