2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी तैयारियों में जुटी,नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश बड़ी चुनौती
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2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने भी तैयारी शुरू कर दी है। लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस के सामने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सक्षम और भरोसेमंद चेहरे की तलाश बड़ी चुनौती है, जबकि भाजपा की नजर समीकरणों पर टिकी है।
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स्वतंत्रदेव सिंह अब योगी सरकार में मंत्री हैं, इसलिए उनके स्थान पर नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना है। वहीं, चर्चा है कि सत्ताधारी दल प्रदेश महामंत्री संगठन भी बदल सकता है, क्योंकि 2014 से लगातार अपने रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन कर रहे सुनील बंसल को पदोन्नति देते हुए राष्ट्रीय संगठन में प्रमुख जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले संगठन सृजन का अभियान चलाया।
प्रदेश प्रभारी के रूप में राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कई बदलाव किए, लेकिन उनके प्रयास बेनतीजा रहे या कहें कि पार्टी की हालत पहले से भी खराब हो गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के सात प्रत्याशी जीतकर विधायक बने, जबकि 2022 में बमुश्किल दो जीत पाए। बेशक, संगठन सृजन से लेकर चुनावी रणनीति का एक-एक निर्णय प्रियंका ने स्वयं लिया, लेकिन अंतत: करारी हार का जिम्मेदार अजय कुमार लल्लू को मानते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से उनका इस्तीफा ले लिया गया।
अब नीति, रणनीति और संगठन में बदलाव के लिए कांग्रेस का राष्ट्रीय चिंतन शिविर उदयपुर में चल रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश के भी प्रदेश पदाधिकारी और विशेष आमंत्रित सदस्य गए हैं। माना जा रहा है कि शिविर के तुरंत बाद नए प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती हो सकती है। फिर से पूरी नई टीम खड़ी की जाएगी। वहीं, राजस्थान में ही 20 और 21 मई को भाजपा की राष्ट्रीय बैठक होने जा रही है। उसमें आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति पर विचार-विमर्श होगा। उसमें सभी प्रदेश अध्यक्षों को प्रदेश की संगठनात्मक रिपोर्ट लेकर जानी है। यहां अभी तक नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए नहीं गए हैं, इसलिए अब उम्मीद है कि इस राष्ट्रीय बैठक के बाद निर्णय हो।
दरअसल, पार्टी इस मंथन में जुटी है कि यूपी में संगठन की कमान ब्राह्मण को सौंपी जाए या दलित को। पिछड़ों की आबादी सबसे अधिक है, इसलिए किसी पिछड़े को भी अध्यक्ष बनाया जाना विकल्प में है। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही प्रदेश से लेकर जिलों तक नई टीम भी बनेगी। इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह कि प्रदेश महामंत्री संगठन के पर पर भी नए व्यक्ति को लाया जा सकता है। इसके पीछे संगठन में ही चर्चा है कि सुनील बंसल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सह संगठन महामंत्री बनकर आए। बेहतर रणनीति के साथ काम किया। भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली। उसके तुरंत बाद उन्हें संगठन महामंत्री बना दिया गया, जिसके बाद उन्होंने संगठन में अनुशासन और रणनीति के नए मानक स्थापित किए।
परिणाम, 2017 के विधानसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव सहित नगरीय निकाय, पंचायत चुनाव और विधान परिषद चुनावों में भाजपा जीत का डंका बजाती चली गई। ऐसे में बंसल को अब पदोन्नत कर राष्ट्रीय संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में उनके अनुभव का लाभ लेने के लिए उन्हें राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाते हुए प्रदेश संगठन का प्रभार भी दिया जा सकता है।
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