सेना के शीर्ष कमांडरों का पांच दिवसीय सम्मेलन का अंतिम दिन आज,युद्ध के बदलते स्वरूप पर हुई चर्चा
सेना के शीर्ष कमांडरों का पांच दिवसीय द्विवार्षिक सम्मेलन (Army Commanders Conference) शुक्रवार को समाप्त हो रहा है। इन पांच दिनों में युद्ध के बदलते स्वरूप और उसके मुकाबले में देश की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई। खासकर हाईब्रिड वारफेयर और सूचना युद्ध से निपटने के उपायों पर भी विचार-विमर्श किया गया। इस सम्मेलन में सेना में इलेक्ट्रिक व्हिकल पर भी फोकस किया गया।
रक्षा मंत्री ने कान्फ्रेंस को किया संबोधित
सेना के कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने गुरुवार को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिकूल मौसम और शत्रुओं का डटकर मुकाबला कर रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए रक्षा मंत्री ने सेना के शीर्ष कमांडरों से भविष्य में गैरपरंपरागत युद्ध समेत किसी भी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा। थिएटर कमान स्थापित करने की प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है। उन्हें खुशी है कि इस दिशा में प्रगति हो रही है। उन्होंने सेना के शीर्ष नेतृत्व पर पूरा भरोसा भी जताया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का भी जिक्र किया और कहा कि इसके लिए चीन के साथ बातचीत जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी और तनाव में कमी ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर कहा, ‘आज सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया। सैन्य नेतृत्व को भविष्य में हरसंभव चुनौती के लिए तैयार रहने का आह्वान किया, जिसमें अपरंपरागत और विषम युद्ध की चुनौती भी शामिल है।’
साल में दो बार होता है कान्फ्रेंस
जनरल नरवणे की अध्यक्षता में होने वाला सेना कमांडर का यह आखिरी सम्मेलन है। जनरल नरवणे का कार्यकाल इसी महीने के अंत में खत्म हो रहा है। आर्मी कमांडरों का यह कान्फ्रेंस नई दिल्ली में सोमवार, 18 अप्रैल से शुरू हुआ था। पांच दिनों के लिए आयोजित होने वाला यह कान्फ्रेंस भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए आधिकारिक फोरम है। यह कान्फ्रेंस हर साल दो बार आयोजित किया जाता है। एक बार अप्रैल में और दूसरी बार अक्टूबर माह में इसका आयोजन होता है।
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