सीएम योगी की एक और खास पहल, कहा-धर्मस्थलों से उतारे गए लाउडस्पीकर स्कूलों को दिए जाए
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले दिनों रामनवमी, अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और ईद सहित अनेक पर्वों के शांति और सौहार्दपूर्ण आयोजन से उत्तर प्रदेश ने एक बड़ा और सकारात्मक संदेश दिया है। अनावश्यक रूप से लगाए गए लाउडस्पीकरों को हटाने में सफलता पाई है। लाउडस्पीकर की आवाज संबंधित परिसर के भीतर ही रहेगी, सौहार्द के साथ हमने यह करके उदाहरण प्रस्तुत किया है। कहा कि उतारे गए लाउडस्पीकर स्कूलों को दे दिए जाएं।
सीएम ने कहा, यह स्थिति आगे भी बनी रहे। यदि फिर कहीं अनावश्यक लाउडस्पीकर लगाए जाने या तेज आवाज में बजने की शिकायत मिली तो संबंधित सर्किल के पुलिस अधिकारी, डिप्टी कलेक्टर व अन्य अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी। साथ ही योगी ने निर्देश दिया कि विभिन्न जिलों में जो लाउडस्पीकर लोगों ने हटाए हैं, उन्हें बातचीत के माध्यम से आवश्यकतानुसार पास के स्कूलों को उपलब्ध कराने में सहयोग करें।
किसी विभाग में न रहें डोबरियाल जैसे कर्मी : राजस्व परिषद अध्यक्ष के सेवानिवृत्त निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल का उदाहरण भी मुख्यमंत्री ने बैठक में दिया। बड़े-बड़े घोटालों के आरोपित डोबरियाल का नाम लेते हुए कहा कि सभी जिलाधिकारी देख लें कि इस तरह का कोई सेवानिव़ृत्त कर्मचारी किसी विभाग में सक्रिय न हो। यदि ऐसा कोई दोषी व्यक्ति पाया गया तो सीधे उसकी संपत्ति जब्त की जाएगी।
चलती रहेगी माफिया पर कार्रवाई, गरीब न हो प्रभावित : योगी ने अधिकारियों से कहा कि माफिया और अपराधियों की संपत्ति जब्त और ध्वस्त करने की कार्रवाई चलती रहेगी। इसके साथ अधिकारी ध्यान रखें कि ऐसी कार्रवाई किसी गरीब-असहाय के खिलाफ न हो।
सीएम के यह भी निर्देश
- स्पीड ब्रेकर बनाते समय लोगों की सुविधा का ध्यान भी रखें। स्पीड ब्रेकर टेबल टॉप हों। बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, मरीजों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े। खराब डिजाइनिंग की वजह से अक्सर लोग स्पीड ब्रेकर के किनारे से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं, जिससे दुर्घटना भी होती है।
- ऐसा देखा जा रहा है कि अनेक अवैध व डग्गामार बसें प्रदेश की सीमा से होकर विभिन्न राज्यों की ओर जा रही हैं। यह बसें ओवरलोड होती हैं। इनकी स्थिति भी जर्जर होती हैं। परिवहन विभाग द्वारा विशेष सतर्कता बरतते हुए ऐसी बसों के संचालन को रोका जाए। इनके परमिट सहित अन्य दस्तावेजों की जांच हो।
- बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए। यातायात नियमों के संबंध में प्रधानाचार्यों, प्राचार्यों, विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण कराया जाए। अगले दो दिनों के भीतर अभिभावकों के साथ भी विद्यालयों में बैठक हो।
- स्कूलों में रोड सेफ्टी क्लब का गठन किया जाएगा।
- सड़क सुरक्षा अभियान के दूसरे चरण में प्रवर्तन पर जोर रहेगा। पूरे प्रदेश में सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन कड़ाई से कराया जाए।
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