संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन के छह माह पूरे होने पर आज मनाया जा रहा है काला दिवस…
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के आह्वान पर आज बुधवार को काला दिवस मनाया जा रहा है। इसे सफल बनाने की अपील भी की गई थी। भाकपा सचिव नसीम अंसारी, माकपा सचिव अखिल विकल्प और भाकपा माले सचिव सुनील मौर्या ने कहा कि 26 नवंबर 2021 को श्रमिकों की आम हड़ताल और किसान आंदोलन शुरू हुआ था। उसके छह माह पूरे होने पर बुधवार को काला दिवस मनाया जा रहा है। इसका समर्थन वामदलों समेत 12 राजनैतिक दलों व विभिन्न संगठनों ने किया है।
संयुक्त ट्रेड यूनियन ने पुतला फूंका
संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन के छह माह पूरे होने पर आज मोदी सरकार की हठधार्मिता के खिलाफ आज पूरे देश मे किसानों, श्रमिकों, कर्मचारियों, संस्कृतिकर्मियों, बुद्धिजीवीयों आदि की तरफ़ से जगह जगह काला दिवस मनाया गया। इस दौरान सरकार का पुतला फूंका गया। प्रयागराज में भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की तरफ़ से कोरोना नियमों का पालन करते हुए प्रदर्शन किया गया। साथ ही मोदी सरकार का पुतला फूंका गया।
सरकार से की गई यह मांग
प्रयागराज में विरोध-प्रदर्शन स्वराज भवन के सामने आयोजित किया गया। इसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में प्रमुख मांगे ये हैं।
-तीनों काले क़ृषि क़ानून रद हो।
-चारों श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए
-बिजली संशोधन क़ानून 2020 रद किया जाए
-सभी देशवासियों को जल्द से तथा मुफ़्त में कोरोना का टीके लगाया जाए
-गैर आयकर दाताओं के खाते में प्रतिमाह 7500 रूपये डाला जाए
-गरीबों को प्रति इकाई दस किलो राशन निश्शुल्क दिया जाए।
इन संगठनों के लोगों ने किया प्रदर्शन
प्रदर्शन मे इंटक के जिलाध्यक्ष देवेंद्र प्रताप सिंह, एटक के जिला महामंत्री रामसागर तथा अनु सिंह, सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रविशंकर मिश्र, जिला संयोजक अविनाश कुमार मिश्र, अखिल भारतीय किसान सभा के जिला सचिव भूपेंद्र पाण्डेय, डीवाईएफआइ के अखिल विकल्प, एक्टू के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ कमल उसरी, सुनील मौर्य, रामसिया तथा सोनू यादव, एइयूटीयूसी के जिला सचिव राजवेंद्र सिंह तथा घनश्याम मौर्य, सेंट्रल गवर्नमेंट कन्फडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष पांडेय ने प्रदर्शन की अगुवाई की।
वामदलों ने कहा- सरकार जनविरोधी कदम उठा रही है
वामदलों ने कहा कि इस वैश्विक महामारी के दौरान भी सरकार लगातार जनविरोधी कदम उठा रही है। उसने अलोकतांत्रिक तरीके से तीन कृषि कानून और चार श्रमिक संहिताएं देश के मजदूरों-किसानों पर थोप दी है। कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत किसानों का दमन किया गया है। बेतहाशा टैक्स लगाकर डीजल-पेट्रोल के दाम में भारी वृद्धि की गई है। उधर, कंफडरेशन आफ सेंट्रल गवर्नमेंट एंप्लाईज एंड वकर्स के अध्यक्ष सुभाष चंद्र पांडेय ने भी समर्थन दिया है।
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