Biz & Expo

भारत ने अमेरिकी के बीच व्यापार के संबंधों को लेकर कई मुद्दे फंसे हुए ,लेकिन कुछ पर बनी सहमति

पिछले दिनों अमेरिका ने भारतीय आम और अनार के आयात को शुरू करने की इजाजत दी तो भारत ने अमेरिकी चेरी, अल्फा अल्फा चारे, पोर्क और पोर्क उत्पादों के आयात को मंजूरी प्रदान कर दी। इसकी घोषणा अमेरिका के वाणिज्य मंत्री ने वहां की संसद में इस तरह से की है जैसे यह बाइडन प्रशासन की एक बड़ी उपलब्धि हो। हालांकि, कारोबार को लेकर दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत की यह अधूरी तस्वीर है। असलियत में दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों को लेकर जो बातें हो रही हैं, उसमें कई मुद्दे फंसे हुए हैं।

भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक मुद्दों पर टकरार

भारत, अमेरिका के दूसरे कृषि उत्पादों जैसे- खाद्य तेल और अमेरिका निर्मित वाहनों को लेकर कोई भी नरमी बरतने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में इस बात पर संदेह नहीं है कि दोनों देशों के अधिकारी फिलहाल मुक्त व्यापार समझौते की बात भी नहीं कर रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच होने वाली कारोबारी वार्ताओं की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी का कहना है कि आम और अनार के निर्यात को लेकर जो समझौता हुआ है, वह सबसे आसान लक्ष्य था।

उनका कहना है कि असलियत में उन उत्पादों का पहले भी इन देशों में कारोबार होता रहा है। इसीलिए 23 नंवबर, 2021 को दोनों देशों की ट्रेड पालिसी फोरम (टीपीएफ) की बैठक में इनका कारोबार नए सिरे से शुरू करने को लेकर तत्काल सहमति बन गई। हालांकि अमेरिका की तरफ से खाद्य तेल, सूखे मेवों और डेयरी उत्पादों को लेकर जो प्रस्ताव आया था, उसको लेकर भारत की तरफ से बेहद ठंडी प्रतिक्रिया दिखाई गई है।

सूत्रों का कहना है कि भविष्य में भारत का रुख इस बात से तय होगा कि भारत से निर्यात होने वाले मांस और झींगा को अपना बाजार देने को लेकर अमेरिका क्या फैसला करता है।

अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनियों को सीमा शुल्क में छूट नहीं देना चाहती सरकार

जानकारों का यह भी कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबार में अच्छी वृद्धि होने के बावजूद ट्रेड, निवेश आदि की दिक्कतें काफी ज्यादा हैं। अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनियों को सीमा शुल्क में छूट देने को लेकर भी भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। संभवत: यही एक वजह है कि हाल ही में टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने भारत में प्लांट लगाने की राह में आने वाली चुनौतियों का जिक्र किया है।

पिछले कुछ वर्षों में जनरल मोटर्स, फोर्ड, हार्ले डेविडसन जैसी अमेरिकी कंपनियां भारतीय बाजार से निकल चुकी हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सरकार की तरफ से अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनियों पर लगने वाले उच्च शुल्क की दर का मुद्दा उठाया था। ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर काफी मतभेद हैं।

संभवत: इन्हीं वजहों से अब दोनों तरफ से मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर ना कोई बयान आ रहे हैं और ना ही कोई बात हो रही है जबकि अक्टूबर 2020 तक दोनों तरफ की सरकारों की ओर से यह बताया जा रहा था कि एक मिनी ट्रेड समझौता करने की सहमति बन चुकी है।

Related Articles

Back to top button